काफ़ी ईमान वाले लोगों ने मदद, और दुआओं, के साथ अपनी नफ्स ( इंद्रियों ) पर कंट्रोल किया, भूख प्यास से कड़ा मुकाबला करते हुए, इस माह को पार किया!!
अल्लाह के हुक्म के मुताबिक यह महीना उसूल, अनुशासन, नियम और सब्र के साथ बिताने वालों के लिए अल्लाह की तरफ़ से एक बेश कीमती तोहफ़ा होता है
ईद के लिए हर तबके के लोगों के लिऐ बाज़ार गुलज़ार रहते हैं, हर तरफ़ रौनक होती है, हर मुसलमा नए कपड़े पहनता है। इसी के साथ साहिब-ए-हैसियत लोगों को ((ज़कात)) निकालनी होती है ज़कात के उन पैसों को अपने से आर्थिक रूप से कमजोर की मदद करने में खर्च किया जाता है। और ईद की नमाज़ को अदा करने से पहले घर के हर मेंबर की तरफ़ से ((सदका-ए-फित्र)) अदा किया जाता है, और ये गरीबों को दिया जाता है ताकि गरीब भाईयों की भी ईद बहुत खुशगवार तरीक़े से बीते और वो भी अपनी ईद को अच्छे और मीठे तरीक़े से मना सकें। इसी के साथ इस्लाम धर्म की एक प्यारी बात ये भी है कि अपने आस पास आर्थिक रूप से कमज़ोर और गरीब लोग फिर चाहे वो किसी भी धर्म के हों उनकी भी मदद की जाए ! और सब को गले लगाया जाए और प्यार बांटा जाए।
“फितरा” अदा करने और सबको गले लगाने और खुशियां बांटने के इस अमल को ही
(((ईद-उल-फित्र))) कहते है।
आपको ईद की तहेदिल से मुबारक़बाद सदा हंसते रहो जैसे हंसते हैं फूल,
दुनिया के सारे गम तुम जाओ भूल,
चारों तरफ फैलाओ खुशियों के गीत,
इसी उम्मीद के साथ तुम्हें मुबारक हो ईद
आफताब शफीक प्रधान