शहर के मोहल्ला नबीगंज में हाजी नसीर अंसारी के मकान पर बज़्म अज़ीज़ का मासिक तरही मुशायरे का आयोजन

मामून अंसारी जिला ब्यूरो चीफ एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी

बाराबंकी।  बज़्म अज़ीज़ का मासिक तरही मुशायरा शहर के नबीगंज में स्थित बज़्म के सदर हाजी नसीर अंसारी के मकान पर आयोजित हुआ।जिसकी सदारत उस्ताद शायर ज़मीर फ़ैज़ी रामनगरी ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर हाफ़िज़ फ़रीद और क़मर टिकैतगंजवी मौजूद रहे। मुशायरे की निज़ामत हुज़ैल लालपुरी ने ख़ूबसूरत अंदाज में अदा की।
मुशायरे में शायरों ने बेहतरीन ग़ज़लें पेश कीं। हाजी नसीर अंसारी -हम उन्हें बदगुमान नहीं रखते। उनसे कुछ भी निहां नहीं रखते।।
ज़मीर फ़ैज़ी -दांव पर आशियां नहीं रखते।शौक़ इतना गरां नहीं रखते।। सग़ीर नूरी-कितने बेहिस हैं आज के इंसा। जिस्म रखते हैं जां नहीं रखते।। मुख़्तार फ़ारुक़ी-दोस्त मिल जाए इस ज़माने में।ऐसी ख़ुशफ़हमियां नहीं रखते।।
हुज़ैल लालपुरी – जिनको आते हैं गुफ़्तुगू के उसूल। तल्ख़ तर्ज़-ए-बयां नहीं रखते।। इरफ़ान बाराबंकवी -हमको रुसवाइयों का डर कैसा।हम कोई राज़दां नहीं रखते।। डॉक्टर रेहान अलवी – काम लेते हैं ज़ब्त ग़म से हम।लब पे आहों फ़ुगां नहीं रखते।।कैफ़ी रुदौलवी-जब से इस दिल पे चोट खाई है।हम कोई रहनुमां नहीं रखते।असलम सैदनपुरी-जब से औरों के ग़म को देखा है। ख़ुद को हम शादमां नहीं रखते।।असर सैदनपुरी-राज़ को अपने राज़ रखना है। इसलिए राज़दां नहीं रखते।।नफ़ीस बाराबंकवी – जितनी तारीफ़ आप करते हैं।उतनी हम ख़ूबियां नहीं रखते।। आदर्श बाराबंकवी -दोस्ती को समझते हैं आदर्श।उस में चालाकियां नहीं रखते।। उनको हर रोज़ मौत आती है।जो हथेली पे जां नहीं रखते।।बशर मसौलवी- वक़्त आया तो हम भी बोलेंगे।ये न समझो ज़बां नहीं रखते।।हैदर मसौलवी- वो हैं नादां जो अपने हिस्से में। रखते सब कुछ हैं मां नहीं रखते।।शम्स ज़करियावी-इसमें यादें किसी की रखते हैं। दिल का सूना जहां नहीं रखते।। पंडित सबा जहांगीराबादी-जाने कैसे हैं आज के बेटे।साथ में अपनी मां नहीं रखते।।आरिफ़ शहाबपुरी-कैसे आरिफ़ वो जंग जीतेंगे।जो हथेली पे जां नहीं रखते।।नज़र मसौलवी-रहने आते परिंद हैं हर रोज़।मेरा ख़ाली मकां नहीं रखते।।फ़रीद टिकैतगंजवी-आईना हम भी साफ़ रखते हैं। दिल में वहमों गुमां नहीं रखते।।क़मर टिकैतगंजवी-जिनका लेते हैं इम्तिहां वो फिर।क़ाबिले इम्तिहां नहीं रखते।। ओसामा महमूद टिकैतगंजवी-जंग जीतेंगे ज़िदंगी के क्या। हौसला जो जवां नहीं रखते।।तालिब आलापुरी-उनसे हम दूरियां नहीं रखते। अपनी मुश्किल में जां नहीं रखते।। इनके अलावा मिस्टर अमेठवी और कैफ़ बड़ेलवी ने भी अपनी बेहतरीन ग़ज़ल पेश की।
बज़्म के सदर हाजी नसीर अंसारी ने ऐलान किया कि माह होने वाली नशिस्त का मिसरा तरह ” कौन था जो इक हसीन ख़्वाब दे गया मुझे” रहेगा,जिसका (क़ाफ़िया गया) और (रदीफ़ मुझे) है।
बज़्म के जनरल सेक्रेटरी हुज़ैल लालपुरी ने सभी शायरों और श्रोताओं का शुक्रिया अदा किया।

मामून अंसारी जिला ब्यूरो चीफ एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी

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