——पत्रकार को जान से मारने की धमकी देने के मामले में कई माननीयों ने डीजीपी को लिखा पत्र

एसीपी कैंट पर नहीं एतबार, डीजीपी से लगाई न्याय की गुहार

लखनऊ। अपराध जगत की ख़बर पर कलम चलाने वाले राजधानी के एक पत्रकार को जान से मारने की धमकी का मामला अब पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की चौखट पर पहुंच गया है। पीड़ित पत्रकार को एसीपी कैन्ट पर भी एतबार नहीं है। उसने मामले की जांच अन्य पुलिस अधिकारी से कराए जाने की मांग की है। इस प्रकरण पर कई माननीयों ने भी डीजीपी को भी पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच करने को कहा है। राजधानी से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक समाचार पत्र ‘रीडर्स मैसेंजर’ के विशेष संवाददाता आशीष मिश्र द्वारा दिए गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि पिछले दिनों प्रतापगढ़ जनपद के जेठवारा थाने के थानाध्यक्ष विनोद कुमार यादव द्वारा एक फरियादी को फोन पर गाली देने तथा जातिसूचक शब्द कहने का मामला सोशल मीडिया एवं अखबारों व टीवी चैनलों में सुर्खियों में आया था। इसी मामले पर विशेष संवाददाता ने भी एक ख़बर प्रकाशित की थी। पर कुछ लोगों को यह ख़बर नागवार गुजरी। आरोप है कि खबर प्रकाशित होने के बाद कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें फोन पर गाली दी और जान से मारने की धमकी दी। पीड़ित पत्रकार ने तत्काल घटना की जानकारी डायल 112 को दी। डायल 112 की पुलिस ने मौके पर पहुंच कर बताया कि मामला गम्भीर होने के कारण पुलिस के उच्च अधिकारियों को अग्रिम कार्रवाई हेतु सूचित करें। इस पर पत्रकार ने पीजीआई थाने पहुंचकर पुलिस को सारी घटना की सिलसिलेवार जानकारी दी। तत्समय थाना प्रभारी के नहीं होने के कारण उपस्थित सिपाहियों ने मामला दर्ज नहीं किया। पीड़ित पत्रकार का कहना है कि उन्होंने एसीपी कैन्ट बीनू सिंह को कई बार मोबाइल से कॉल की किन्तु उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। राजधानी की मीडिया में यह प्रकरण उछला तो थाने में एफआईआर तो दर्ज कर ली गई है पर पीड़ित पत्रकार का आरोप है कि पुलिस ने सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत नहीं किया है। उन्होंने एसीपी कैन्ट पर आरोप लगाया है कि भ्र्ष्टाचार के एक मामले में एसीपी कैंन्ट का साक्षात्कार करने पर उन्होंने धमकाया था और अब इस प्रकरण में भी उनकी सह पर ही पीजीआई थाने की पुलिस उचित कार्रवाई नहीं कर रही है। पत्रकार ने एसीपी कैंन्ट पर आरोप लगाया है कि वे मामले की लीपापोती में जुटी हैं। उन्होंने मामले की जांच किसी अन्य पुलिस अधिकारी की निगरानी में कराने तथा एसीपी कैंन्ट का स्थानांतरण करने की मांग की है। साथ ही न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि यदि मेरी जानमाल को कोई क्षति पहुंचती है तो उसकी जिम्मेदार एसीपी कैंन्ट एवं अन्य विपक्षी लोग होंगे।

पत्रकार कु शिकायत पर श्रम एवं सेवायोजन, समन्वय विभाग, विधायी एवं न्याय, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के मंत्रियों के कार्यालय द्वारा तथा कांग्रेस विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा द्वारा डीजीपी को मामले की निष्पक्ष जांच करने तथा उचित कानूनी कार्रवाई करने को पत्र लिखा है। अब देखना है कि राजधानी में पुलिस कितनी तत्परता से कार्य करती है।

क्या अपराध जगत की खबरें प्रकाशित करना गुनाह है ज़नाब?

प्रदेश की योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में अपराधियों पर नकेल कसने में सफलता जरूर पाई है पर अभी भी कुछ अपराधी सिर उठाने की हिमाकत कर रहे हैं। अब तो उन्होंने लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ पर सीधा हमला बोल दिया है। क्या अपराध जगत से सम्बंधित खबरें प्रकाशित करना कोई गुनाह है? यदि नहीं तो फिर पत्रकार को धमकाने वालों पर पुलिस कब डंडा चलाएगी? पुलिस अधिकारियों की मनमानी पर कब अंकुश लगेगा? आम आदमी को न्याय कैसे मिलेगा? सत्ता में जिम्मेदार पदों पर आसीन माननीयों को इन सवालों के जवाब देने चाहिए।

Don`t copy text!