समाजवादी पार्टी के विघटन से ही अलोकतांत्रिक सरकारों का उदय हुआ: राजनाथ शर्मा

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

बाराबंकी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के एक होने से नए राजनैतिक विकल्प का अभिउदय होगा। समाजवादियों में एका होने से धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा मिलेगा। और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका में समाजवादी पार्टी सरकार की नाकामियों को उजागर कर सकेगी। यह बात एक प्रेस वक्तव्य में समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कही। श्री शर्मा ने प्रसपा प्रमुख एवं जसवंतनगर से विधायक शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा सदस्यता खत्म करने संबंधी याचिका सपा द्वारा वापस लेने की सराहना की है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का यह निर्णय प्रशंसनीय है। समाजवादी पार्टी के विघटन से ही अलोकतांत्रिक सरकारों का उदय हुआ। शिवपाल सिंह यादव द्वारा अखिलेश यादव को आभार पत्र प्रेषित किए जाने से निराश हो चुके समाजवादियों में नई चेतना का सृजन हुआ है। श्री शर्मा ने कहा कि सात दशक पूर्व डॉ राममनोहर लोहिया ने गैरकांग्रेसवाद का नारा दिया था। जिसका परिणाम था कि कुछ ही वर्षों में उत्तर प्रदेश में पहली गैरकांग्रेसी सरकार बनी। कुछ समय बाद जनता पार्टी के रूप में केंद्र में गैरकांग्रेसी सरकार बनी। जिनमे समाजवादियों की अहम भूमिका रही। लेकिन हाल के वर्षों में सत्ता में आए समाजवादी डॉ लोहिया की सप्त क्रांति और जेपी की संपूर्ण क्रांति से भटक गए। श्री शर्मा ने कहा कि समाजवादियों के संगठन का कोई देश व्यापी स्वरूप नही था। जिस कारण सत्ता में आए राजनैतिक दलों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था का हनन किया। ऐसे में अखिलेश यादव के सकारात्मक रुख के बाद समाजवादी पार्टी को शिवपाल यादव को पार्टी में वापस ले लेना चाहिए। जिससे एक बार फिर सूबे में संघर्ष की राजनीति का अवतरण हो सके।

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

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