गांधी भवन में हुआ निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास का जोरदार स्वागत

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी।

बाराबंकी। श्रीरामजन्मभूमि विवाद के प्रमुख पक्षकार रहे और अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास का जनपद बाराबंकी के गांधी भवन में स्वागत किया गया। महंत धर्मदास अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के एतिहासिक फैसले के बाद नगर के गांधी भवन पहुंचे थे, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान महंत धर्मदास ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्र्यापण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। महंत धर्मदास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। यह कोर्ट का बहुत ही अच्छा निर्णय है। इससे आपसी भाईचारा और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया है। साथ ही यह माना है कि उनके गुरु स्वर्गीय बाबा अभिराम दास अपने जीवनकाल में रामजन्मभूमि में पूजा करते थे। 22−23 दिसम्बर 1949 को रामलला के प्राकट्य के बाद कोर्ट के आदेश से जब कुर्की हुई तो रिसीवर ने बाबा अभिराम दास से ही रामजन्मभूमि का चार्ज प्राप्त किया था। महंत श्री दास का कहना है कि कोर्ट के समक्ष यह तथ्य तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट की 23 दिसम्बर 1949 की रिपोर्ट में आया है कि उस समय रामलला का भोग और पूजा-अर्चन बाबा अभिराम दास के अलावा, बाबा राम सुखदास व बाबा सुदर्शन दास की ओर से लगाया जा रहा था। इसके अलावा अयोध्या प्रकरण में दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अभियुक्तों में पहला नाम मेरे गुरु बाबा अभिराम दास का ही है। इसके अलावा एक फरवरी 1950 को जमानत के दौरान भी उनके गुरु बाबा अभिराम दास ने स्वयं को पुजारी रामजन्मभूमि बताया है।
महंत श्री दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेशित किया है कि श्रीरामजन्मभूमि के संचालन हेतु एक ट्रस्ट का गठन करे। सरकार किस प्रकार का ट्रस्ट बनाएगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। यदि इसमें सभी अखाड़े का प्रतिनिधित्व होगा तो उचित रहेगा। इस ट्रस्ट में भगवान श्रीराम के प्रति आस्था और आदर रखने वाले लोगों को ही न्यासी बनाया जाना चाहिए। ऐसे ट्रस्ट में आए हुए जनता के पैसे का उपयोग भगवान श्रीराम के कार्यो में होना चाहिए। फालतू खर्च पर प्रतिबंध लगना चाहिए। यह ट्रस्ट पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। क्योंकि ऐसे बहुत से लोग ट्रस्ट में जगह पाने की जद्दोजहद कर रहे है जिनका आस्था से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने अन्त में कहा कि ‘दगा किसी का सगा नहीं, न मानो कर देखो। जिस-जिस ने दगा किया, जाकर उसका घर देखो।।इस मौके पर समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा मौजूद रहे है। उन्होनें आपातकाल के दौरान बाबा अभिराम दास के साथ बंदी रहते हुए कई संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि महंत धर्मदास मेरे 40 वर्ष पुराने साथी है। जिनका मैं बहुत आदर और सम्मान करता हूं। इस दौरान प्रमुख रूप से विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, सभासद देवेन्द्र प्रताप सिंह, ज्ञानू, पी.के सिंह, पाटेश्वरी प्रसाद, उमानाथ यादव, महामाया प्रताप सिंह एडवोकेट, नीरज दूअबे, सरदार राजा सिंह, संतोष शुक्ला, शिवानी सिंह, जय नारायण पटुआ, धु्रव कुमार सिंह, विद्या सागर पाण्डेय सहित कई लोग मौजदू रहे।

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