नई दिल्ली । कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते देश में करोड़ों लोगों की अजीविका छिन गई थी और अब एक सर्वे सामने आया है जिसमें पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिलाओं के पास काम नहीं है यानि की वो बेरोजगार हैं। ऐसे में उन महिलाओं को अपना घर चलाने के लिए कर्जा लेना पड़ रहा है। 20 राज्यों के अनौपचारिक क्षेत्र की 3,221 महिला श्रमिकों से बातचीत कर एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई। जिसके मुताबिक पोस्ट लॉकडाउन में पुरुषों की तुलना में अधिक महिला श्रमिकों को काम नहीं मिला। जबकि लॉकडाउन की अवधि के दौरान 51.6 फीसदी महिलाओं ने कोई मजदूरी नहीं मिली।
एक्शन एड एसोसिएशन ने अनौपचारिक क्षेत्र से डाटा एकट्ठा कर सर्वे किया है। मई-जून के बीच आयोजित किए गए इस सर्वे में 11,537 लोगों को कवर किया गया जिसमें 28 फीसदी यानी की 3,221 महिलाएं थीं। एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, कामगारों के बीच किए गए सर्वे में पाया गया कि लॉकडाउन के बाद 85 फीसदी लोगों ने अपनी अजीविका खो दी। काम नहीं होने की वजह से अधिकतर लोगों को अपने खर्चों में कमी करनी पड़ी और अपनी बचत के भरोसे जीवन गुजारना पड़ा।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि लॉकडाउन के दौरान 68 फीसदी लोगों को अपनी जरूरत की चीजों पर खर्च करने के लिए कर्ज लेना पड़ा था। सर्वे से सामने आया कि 88 फीसदी मजदूर शहरी क्षेत्रों में रहते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह महज 11.5 फीसदी है। जबकि लॉकडाउन से पहले के सर्वे में 90 फीसदी महिलाएं 85 फीसदी पुरुषों की तुलना में मजदूरी का काम कर रही थीं। सर्वे के दौरान 1,788 महिला श्रमिकों ने अपने व्यवसाय का खुलासा किया कि वह किससे कितना कमाती हैं। लगभग 2 फीसदी महिलाओं ने यह बताया कि 46 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिली है। इसके अतिरिक्त 16 फीसदी महिला और पुरुष श्रमिकों लॉकडाउन के बाद आंशिक मजदूरी मिली। जबकि 32 प्रतिशत महिला श्रमिकों और 37 फीसदी पुरुष श्रमिकों को पूर्ण मजदूरी मिली।
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