*कामुक सोच की उपज है हैदराबाद कांड के वहशी दरिंदे* सिस्टम में खराबी की वजह से भी हो रहे हैं लज्जा पर निर्लज्जता के हमले। बलात्कारियों को धर्म के चश्मे से देखना वैचारिक विकलांगता। वासना के राक्षसों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत तय सीमा में मिले कड़ा दंड।

*कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)*

 हैदराबाद में सामूहिक बलात्कार कर महिला डॉक्टर की हत्या करने वाले वहशी दरिंदे कामुक सोच की वह उपज हैं जिसके खात्मे के लिए समाज व कानून को एक साथ मिलकर काम करना होगा। पूरे मामले में हमारे सिस्टम की कमजोरियां भी सामने आई! तो यह भी दिखा कि ऐसी घटना में भी कई लोग बलात्कारियों को धर्म का चश्मा लगाकर देखने में जुटे रहे? यदि यही रहा तो लज्जा पर निर्लज्जता के साथ आगे भी हमले जारी रहेंगे। जरूरी है उपरोक्त मामलों में तेज न्यायिक प्रक्रिया के तहत ऐसे कड़े दंड का प्रावधान किया जाए कि बलात्कारियों की रूह भी ऐसे अपराध को सोचने भर से कांप उठे।

आज पूरा देश हैदराबाद कांड पर आक्रोशित है ।एक बार फिर से निर्भया कांड एवं टप्पल कांड की यादें आम आदमी के जेहन में ताजा हो उठी हैं। देश मे एक प्रतिभावान महिला डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार किया जाए और फिर उसकी हत्या कर दी जाए ।उसके शरीर को आग के हवाले किया जाए। तो यह घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए वह कलंक है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। हैदराबाद कांड को लेकर लोग आक्रोशित है। स्थानीय प्रशासन अपना काम कर रहा है। सरकार भी इसे लेकर सक्रिय है ।पूरे मामले को देखने भर से प्रतीत होता है कि आज हमारे समाज में कामुकता की सोच वाले वहशी दरिंदे मानसिक रूप से पूरी तरह आजाद है ?यह एक ऐसी विकृत सोच है जिसके तहत ऐसे दरिंदे बलात्कार की घटनाओं को अंजाम देते ही जा रहे हैं।

हैदराबाद की घटना की जानकारी होने पर देश में चारों तरफ आक्रोश फैल गया ।देश में चर्चा है कि क्या हमारे देश में एक अकेली नारी सुरक्षा के साथ कहीं विचरण नहीं कर सकती। क्या वासना की भूखे भेड़िए इतने बेखौफ हैं कि वह किसी की भी लज्जा पर निर्लज्जता के साथ हमला करें ?

दिवंगत महिला डॉक्टर ने जिंदा रहते अपनी बहन को फोन किया! उसके परिजनों ने पुलिस को फोन किया ।तब स्थानीय पुलिस सक्रिय नहीं हुई। परिजनों की माने तो पुलिस ने यहां तक कह दिया कि तुम्हारे घर की लड़की कहीं भाग गई होगी। काश पुलिसवाले तत्काल सचेत होते! वहशी दरिंदों का कलेजा देखिए चार अपराधियों में से दो दोबारा घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस के मुताबिक उन्होंने बताया कि वह देखने पहुंचे थे की पीड़िता पूरी तरीके से जल गई कि नहीं! स्पष्ट है कि स्थानीय स्तर पर तेलंगाना में कानून व्यवस्था का खौफ बलात्कारी अपराधियों पर कतई नहीं था? यह कहीं न कहीं हमारे सिस्टम की एक बड़ी खामी है?

देश को शर्मसार करने वाली यह जघन्य घटना बुधवार की रात अंजाम दी गई। यहां अपनी वासना पूर्ति को अंजाम देने में जुटे वहशी दरिंदे एक निरीह महिला का शरीर को लूटते रहे और पुलिस अपने कुतर्क परिजनों के सामने देती रही। तेलंगाना के गृहमंत्री मोहम्मद महमूद अली का यह बयान कि यदि पीड़ित बहन के बजाय पुलिस को फोन कर देती तो शायद उसकी जान बच जाती। मंत्री का यह बयान उनकी दृष्टि में भले ही सही हो लेकिन उनके पास शायद इस बात का जवाब नहीं है कि सूचना मिलने पर पुलिस क्या करती रही।

खैर अब तो सियासी नेता व बड़े अधिकारी इस मुद्दे पर अपने अपने तर्क देंगे। फिर कुछ दिनों के बाद हैदराबाद का यह कांड बस केवल ऐसी घटनाओं के समय ही याद आएगा?
देश में बलात्कार की घटना को यदि देखा जाए तो अदालत में ऐसे करीब डेढ़ लाख मामले वर्ष 2017 में थे जिनमें से 18000 की ही सुनवाई हुई ।तमाम मामले ऐसे भी हैं जहां बलात्कार की पीड़िताएं लोक लाज के मुद्दे पर चुप हो जाती है।

यहां संभल उत्तर प्रदेश की घटना भी हिला देने वाली है। यहां भी एक किशोरी के साथ वहशी दरिंदों ने बलात्कार किया और फिर उसे आग से जला दिया। पीड़िता को दिल्ली अस्पताल इलाज के लिए ले जाया गया जहां पर उसकी जान चली गई। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। हम बात करें हैदराबाद कांड की तो यहां भी 4 आरोपियों को गिरफ्तारी की गई है। जिसमें मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंता केसावुलु, शिवा, नवीन शामिल है। इसमें चिंताकुंता की मां श्यामला ने तो अपने बेटे से पल्ला झाड़ा, और कहा है कि जिस तरह से उस बेटी को आग के हवाले किया गया ।उसकी हत्या की गई ऐसी ही सजा मेरे बेटे और अन्य आरोपियों को मिलनी चाहिए। श्यामला का यह बयान नारी सम्मान के मुद्दे पर गौर करने योग्य है।

खैर इस मुद्दे पर अदालत अपना काम करेगी । गौरतलब यह भी हो कि जब यह घटना घटी, और इसकी खबर आई तो सोशल मीडिया पर कई वैचारिक विकलांगता वाले लोगों ने इसे धर्म के चश्मे से देखना शुरू कर दिया। जब पुलिस सक्रिय हुई। सभी बलात्कारी पकड़े गए तो इसमें धर्म आपस में गडमड हो गया और केवल एक जमात नजर आई वह थीं बलात्कारियों की!

देश में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए न्यायिक प्रक्रिया के तहत इसमें जल्द से जल्द निर्णय आने चाहिए। जैसा कि कानपुर में एक बच्ची की दुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रैक अदालत के द्वारा 35 दिनों में ही फैसला सुनाया गया। आरोपी अजीत को 20 साल की कैद दी गई । इस प्रकार निर्णय ऐसे ही जल्दी हो और अपराधियों को कड़े दंड मिले।
दंड का प्रावधान भी कुछ इतना अब कड़ा होना चाहिए कि उसके बारे में सोच ऐसे अपराध करने वाले अपराधी की रूह कांप जाए। फिलहाल तो चाहे संभल यूपी की किशोरी हो या फिर हैदराबाद की महिला डॉक्टर इन दोनों बहनों की आत्माएं आज पूरे देश की ओर देख रही होंगी। कि देश की न्यायिक प्रक्रिया से उन्हें न्याय कब मिलेगा ।यह दिवंगत आत्माए यह भी सोच रही होंगी कि मेरी अन्य बहनों के साथ कोई वहशी ऐसा कृत्य निर्लज्जता के साथ ना अंजाम दे सके। इसके लिए हमारी सरकार कितना सक्रिय होगी।

स्पष्ट है कि यदि समाज एवं कानून तथा सरकार मिलकर के इस कामुक सोच से पैदा हुए दरिंदों के खात्मे के लिए ना जुटे तो थोड़े दिन का इंतजार करिए !!आगे फिर सुनाई देगा हैदराबाद काड़, निर्भया कांड, टप्पल कांड, संभल कांड? अन्य आदि आदि! जिन्हें देखकर आत्मा रो पड़ेगी और सिर शर्म से झुक जाएगा…….?????

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