पूर्वांचल की आवाज थे हर्षवर्धन: राजा सिंह जयन्ती पर याद किए समाजवादी नेता स्व. हर्षवर्धन
कुलदीप कुमार शर्मा संवाददाता।
बाराबंकी। स्व. हर्षवर्धन एक निर्भीक विचारों वाले भयहीन वक्ता थे। संसद से लेकर सड़क तक उनके तर्कपूर्ण व्याख्यानों से देश का जनमत उनसे प्रभावित होता था तथा सरकार सचेत रहती थी। देश के बड़े से बड़े सत्ताधारियों से लेकर उद्योग व पूंजीपतियों तक लोगों को यह चिन्ता रहती थी कि उनके कृत्य कहीं हर्षवर्धन की नजर में न पड़ जायंे। यही उनकी ताकत थी, कि लोग उन्हें सुनते थे, उनके संधर्षों में शामिल होते और उनकी बातों पर विचार करते थे। स्व. हर्षवर्धन उन शोषितों और पीड़ितों की आवाज भी थे जो किसी भी सरकार या व्यक्ति के बारे में भयमुक्त हो बेबाक अपनी बात रखते थे।
उक्त विचार गांधी भवन में गांधी जयंती समारोह ट्रस्ट द्वारा दिग्गज समाजवादी नेता एवं पूर्व सांसद स्व0 हर्षवर्धन की 72वी जयंती पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने व्यक्त किए। इस मौके पर स्व0 हर्षवर्धन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजलि अर्पित की गयी।
श्री शर्मा ने बताया कि स्व. हर्षवर्धन डा. राममनोहर लोहिया से बेहद प्रभावित थे। जिसका कारण वह छात्र जीवन से ही समाजवादी आन्दोलन से जुड़ गए। ऐसे में मधुलिमये, राजनारायण, चन्द्रशेखर, जार्ज फर्नाडिस, लाडली मोहन निगम, जनेश्वर मिश्र, सत्येन्द्र राय, रघु ठाकुर, सत्यदेव त्रिपाठी, मोहन सिंह, सी.बी सिंह सरीखे कई समाजवादी नेताओं के साथ उन्हें काम करने का मौका मिला। हर्षवर्धन की एक खास पहचान यह भी थी कि जहां अन्याय, अत्याचार और शोषण होता वहां वह मौजूद रहते। वह मधुलिमये की शैली पर कार्य करते थे। जिस मामले को उन्होने उठाया उसे अंजाम तक पहुचाया।
कांग्रेस पार्टी के जिला महासचिव दानिश आज़म वारसी ने कहा कि स्व. हर्षवर्धन सिंह मेरे पिता फिराकुल आज़म वारसी के गहरे मित्र थे। स्व0 हर्षवर्धन की सोच समतावादी थी। वह सेकुलर विचारधारा के व्यक्ति थे। वह जो बोलते थे, उन्हीं विचारो में जीते भी थे। वह जमीन से उठकर संघर्षों से नेता बने। वह कांग्रेस में होने के बाद भी अजीवन समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार राजा सिंह ने कहा कि स्व. हर्षवर्धन छात्र जीवन के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय में रहते हुए मेरे पिता स्व. बेअन्त सिंह के संपर्क में आये। उस वक्त मेरे पिता छात्रसंघ के अध्यक्ष हुआ करते थे। जिसके बाद दोनों नेताओं ने कई सत्याग्रह साथ-साथ किए। स्व. हर्षवर्धन ने पूर्वांचल में शोषितों और पीडितों के मसीहा के रूप में ख्याति हासिल की। वह पूर्वांचल की आवाज थे। उनका निधन पूर्वांचल ही नहीं देश हित में अपूर्णनीय क्षति है।
बैठक में मुख्य रुप से समाजसेवी विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, समाजसेवी अशोक शुक्ला, उमानाथ यादव, हुमायूं नईम खां, पी.के सिंह, रवि प्रताप सिंह, विजय कुमार सिंह, उदय प्रताप सिंह, सत्यवान वर्मा, संदीप सिंह, अशोक जायसवाल, कलाधर यादव, असलम बबलू, एहतिशाम खान, विजय सिंह, मनीष सिंह, कन्हैया लाल जायसवाल, विजय कनौजिया सहित कई लोग मौजूद रहे।
कुलदीप कुमार शर्मा संवाददाता।