कोरोना कहर से शादियां प्रभावित, दिल्ली में घटी कपड़ों की बिक्री, दूसरे प्रदेशों में बेहतर स्थिति

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

नई दिल्ली । देश में एक बार कोरोना का कहर तेज हो गया जिसके चलते संक्रमण के मामले बढ़ने से केंद्र और राज्य सरकारों ने कड़े निर्णय लेने शुरू कर दिए हैं। इसका असर बाजारों पर दिख रहा है। देवउठानी एकादशी से शादियों का सीजन शुरू हो गया है। लंबे वक्त से पेंडिंग शादियां भी नवंबर-दिसंबर में संपन्न होनी है। तब भी दिल्ली में कपड़ों के बाजार में बिक्री घट गई है। हालांकि अन्य राज्यों में ऐसी स्थिति नहीं है, क्योंकि वहां इसकी बिक्री बढ़ी है। फेडरेशन ऑफ दिल्ली टेक्सटाइल मर्चेंट्स के जनरल सेक्रेटरी रजनीश ग्रोवर का कहना है कि बाजारों की स्थिति सरकारों के फैसले पर निर्भर करती है। जब कड़े एक्शन लिए जाते हैं, तब बाजार में एकदम गिरावट देखने को मिलती है। दिल्ली में अतिथियों की संख्या 200 से घटाकर 50 हो गई है। इससे कपड़ा इंडस्ट्री पर भी फर्क पड़ना लाजिमी है। अब शादियों में घर-परिवार के सीमित लोग ही शामिल होंगे, तो अन्य रिश्तेदार कपड़ों की भी खरीदारी नहीं करेंगे। दिल्ली में ज्यादा केस हो रहे हैं, तो सरकार ने सख्ती की है।
ग्रोवर का कहना है कि दिल्ली को छोड़ दें, तो अन्य राज्यों में कपड़ों की अच्छी बिक्री हो रही है। इस सेक्टर में 50 प्रतिशत तक बिजनेस लौट आया है। जिन राज्यों में ठीक ठाक गेदरिंग हो रही है, वहां अच्छी खरीदारी हो रही है। यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में तो 80 प्रतिशत तक कपड़ा कारोबार पटरी पर लौट आया है। अनलॉक में जिम, रेस्टोरेंट, सैलून, बाजार, सिनेमाघर और वीकली मार्केट आदि को छूट दी गई, उसके बाद व्यवसाय में तेजी देखने को मिली। दीपावली के दौरान बाजारों में उमड़ी भीड़ से लग ही नहीं रहा था कि कोरोना का कोई खौफ लोगों में है। अब जिस तरह राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामले और मौतों की संख्या बढ़ रही है, उससे बाजारों को आने वाले समय में दिक्कतें जरूर झेलनी होंगी।

दिल्ली हिंदुस्तानी मर्कंटाइल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अरुण सिंघानिया का कहना है कि अब सरकार लॉकडाउन लगाए या नहीं लगाए, लगन में होने वाला कपड़े का काम तो निपट गया समझो। इस सीजन में ज्यादा से ज्यादा 30 नवंबर तक लोग कपड़े की खरीदारी करेंगे। रविवार की रात नांगलोई में कुछ बाजार सील किए, जिसे बाद में खोल दिया गया। इससे भी कारोबारियों में दहशत फैल गई। लोगों में पैनिक है कि कहीं फिर से मार्केट बंद नहीं हो जाएं। दिसंबर में होने वाली शादियों की खरीदारी भी 5-6 दिनों में होगी। बड़ी अजीब स्थिति हो गई है कि सरकार को भी गलत नहीं ठहरा सकते। कोरोना काल में हर कोई कन्फ्यूजन है। कपड़े की इंडस्ट्री को भयंकर नुकसान की आशंका है। किसी तरह बीते दो-तीन महीनों में बिजनेस उठा, तो राहत मिली। लेकिन अब तो फिर भविष्य अंधकारमय दिख रहा है।

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