यह है शबनम-सलीम मामला

संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट एसएम न्युज24 टाइम्स 8004283330

पढ़ी-लिखी शबनम एक 8वीं फेल सलीम से प्यार करती थी। जाहिर है कि माता-पिता के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो रिश्ते के लिए मना कर दिया गया। इसके बाद प्रेम में अंधी शबनम ने ऐसा खूनी खेल खेला कि इतिहास बन गया। 14 अप्रैल 2008 की रात को अमरोहा के हसनपुर तहसील के गांव बावनखेड़ी में खूनी खेल हुआ। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, शबनम ने प्रेमी सलीम से साजिश के तहत कहा कि वह उसे नशे की गोलियां लाकर दे जिससे सभी को बेहोश कर उन्हें मारा जा सके. सलीम ने 10 गोलियां मेडिकल से लाकर शबनम को दे। सलीम ने ऐसा ही किया। फिर शबनम ने गोलियां दूध में मिलाकर पूरे घर को दे दीं, लेकिन 11 साल के भतीजे को दूध नहीं दिया। नशे वाला दूध पीकर जब सब बेहोश हो गए तो सलीम और शबनम ने कुल्हाड़ी से सबका गला काट दिया।नजदीक के ट्यूबवेल पर खून से सने हाथ-पैर धोने के बाद जब शबनम ने देखा कि उसका भतीजा जीवित रह गया है तो 11 साल के भतीजे की गला दबाकर हत्या कर दी। निचली अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट भी शबनम-सलीम की फांसी पर मुहर लगा चुका है। यह भी जानेंनिचली अदालत ने सलीम और उसकी प्रेमिका शबनम को एक जून 2009 को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।जनवरी 2020 में सलीम की रिट सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।सुप्रीम कोर्ट से मदद न मिलने पर प्रेमी युगल ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल की। राष्ट्रपति ने शबनम की दया याचिका खारिज कर दी।सलीम की याचिका अभी लंबित है।

फाँसी पर शबनम ने कहा ,मेरा साया तक न पड़े बेटे पर

दरअसल, ताज की परवरिश जो परिवार कर रहा है वे भी शबनम के किसी मदद के एहसानमंद हैं, जो खुद भी चाहते हैं कि बेटे के वास्ते शबनम की फांसी को टाला जाए, वे मानते हैं कि जेल के अंदर शबनम अपने गुनाहों का प्रायश्चित कर चुकी हैं, वह हर दिन रोती है और बेटे से गले लगकर उसे कहती है कि उसकी साया तक उसपर न पड़े.वहीं फांसी रोकने को लेकर लोगों की मिक्स्ड प्रतिक्रिया सुनने को मिल रही है, कुछ का कहना है जुर्म करने वाला गलत है न कि इसमें जेंडर, धर्म, जाति आदि देखी जानी चाहिए, ऐसे में महिलाओं का हौंसला बढ़ेगा और क्राइम रेट भी.

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