बगैर मारेफत हक हासिल होना मुमकिन ही नहीं: मौलाना हिलाल जश्ने कायम में बरसे अकीदतों के फूल

नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211

बाराबंकी। जश्ने कायम में बरसे अकीदतों के फूल। इमाम के मानने वालों पर वाजिब है कि वो मारेफत के साथ अमल करें। हक आयेगा बातिल मिट जायेगा, बातिल को तो एक दिन मिटना ही है। यह बात नगर के बेलहरा हाऊस के निकट मरहूम बाकर साहब के अजाखाने में जश्ने कायम की महफिल को खिताब करते हुये मौलाना हिलाल अब्बास ने कही। उन्होंने आगे यह भी कहा कि बगैर मारेफत हक हासिल होना मुमकिन ही नहीं। जब इमाम आयेंगे दुनियां को अद्लो इंसाफ से ऐसे भर देंगे। जैसे जुल्म जोर से भरी होगी। बादे महफिल मुल्क के लिए अम्नो अमान की दुआ के साथ कोरोना जैसी वबा से नजात के लिये और आखेरत बखैर के लिए दुआयें की गई। महफिल से पहले मुजफफर इमाम ने नजरानए अकीदत पेश करते हुए पढ़ा-है यकीं मेरे दिल को वो जरूर आयेंगे, मिस्ले फातहे खैबर कुल जहां पे छायेंगे। हाजी सर वर अली करबलाई ने अपना कलाम पेश करते हुए पढ़ा-जुल्म दुनियां से सर वर यूं मिट जायेगा, जैसे था ही नहीं जब हुजूर आयेंगे। आरिफ रजा जाफरी ने बेहतरीन कलाम पढ़ा-ऐ काश वख्त आए वो मेरी हयात में , तेरह रजब हो काबा हो महदी हों साथ में। शुजा हैदर ने पढ़ा-काश मैं महदीये दौरां का जमाना देखूं, बारहवें हैदरे कर्रार का चेहरा देखूं।मोहम्मद इमाम ने पढ़ा-इश्के इमामे वख्त में बीमार हो गया, जन्नत में एक घर मेरा तय्यार हो गया। अद्नान रिजवी ने पढ़ा- मौला ये मेरा काम है पहला कर दे, तक्दीर के चेहरे को रुपहला कर दे ।महफिल का आगाज तिलावते कलाम-ए-इलाही से शुजा हैदर ने किया।तिलावत के साथ साथ माना और तफ्सीर भी बयां की। बच्चों और नौजवानों के इल्म में इजाफे और हौसलाअफजाई के लिए सवालो जवाब का सिलसिला भी चला जवाब देने वालों को तोहफे से नवाजा गया। महफिल की बेहतरीन निजामत के फराएज मिर्जा मोजिज हुसैन लखनवी ने अन्जाम दिये। बानिये महफिल ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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