केवल मुनि जड़ जानति मोही।

मोहम्मद वसीम कुरेशी संवाददाता

मसौली बाराबंकी। बालक जान बधउँ नहिं तोही। केवल मुनि जड़ जानति मोही। बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्व बिदित क्षत्रिय कुल द्रोही।। इसी दोहे पर आधारित प्रसंग का मंचन शनिवार को ग्राम पँचायत मेढ़िया में चल रही रामलीला धनुषयज्ञ में श्रीराम कृष्ण रामलीला एव नाट्य कलाकेंद्र दरभंगा बिहार के कलाकारों ने किया। सुसज्जित पंडाल में चल रही रामलीला में आज धनुषभंग का आयोजन किया गया मंचन में  जनकपुर के राजा जनक अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर का आयोजन करते हैं।  महर्षि विश्वामित्र राम-लक्ष्मण को भी इस स्वयंवर में लेकर जाते हैं। सीता जी को प्राप्त  करने के लिए इस स्वयंवर में कई राजा-महाराजा पधारते हैं। स्वयंवर में राजा जनक की शर्त थी कि जो शिव के धनुष को खंडित कर देगा वही सीता को वरण कर सकता है। मंचन में सभी राजाओं ने धनुष तोड़ने की कोशिश की परन्तु हिला तक भी न सके। यहॉ तक लंकेशपति रावण भी धनुष को हिला तक नही सका।महर्षि विष्वामित्र के ईशारे राम ने शिव के धनुष को उठा कर तोड़ दिया।  शिवजी के धनुष तोड़ने की जानकारी पाते ही मंच पर परशुराम क्रोधित होकर जनक दरबार में उपस्थित होते हैं।और लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखी जमकर नोकझोंक का संवाद होता है। परशुराम एव लक्ष्मण के इस संवाद की जमकर सराहना की गयी। इस मौके पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष ग्राम प्रधान राममूर्ति यादव, जगदीश वर्मा, मो. गय्यूर, मो. अय्यूब, रोहित यादव, पूर्व प्रधान चेचरूवा उमाकान्त यादव, देवेन्द्र यादव सहित तमाम लोग मौजूद थे।मोहम्मद वसीम कुरेशी संवाददाता

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