जो हक कहने का जज्बा नहीं रखता वो हुसैनी नहीं हो सकता

नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211

बाराबंकी। दुनियां की लालच में जब इंसान अंधा हो जाता है तो हक से दूर हो जाता है। यही इंसान आखेरत में घाटा उठाता है। जो दुनियां को छोड़कर हक की तरफ कदम बढ़ाता है हजरत हुर कहलाता है और जो मुल्के रै की लालच में हक को ठुकराता है उमरे शाद कहलाता है। यह बात मौलाना गुलाम अस्करी हाल में मज्लिसे तरहीम बराए ईसाले सवाब मरहूम अबरार मेहदी इब्ने जफर मेहदी मरहूम को खिताब करते हुए मौलाना अदीब हसन जैदपुरी ने कही। मौलाना ने यह भी कहा कि खुद को हक-बातिल से बराए जिम्मा समझने वाला और बातिल के खिलाफ आवाज न उठाने वाला ही मुशरिक होता है। जो हक कहने का जज्बा नहीं रखता वो हुसैनी नहीं हो सकता। आखिर में करबला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी रोने लगे। मजलिस से पहले कशिश सन्डीलवी ने पढ़ा गमे हुसैन मनाते हैं सब यहां मिलकर, दयारे हिन्द में ये एकता हुसैन से है। वहीं अजमल किन्तूरी, बाकर नकवी, मुजफ्फर इमाम, हाजी सरवर अली, फराज व नजफी और बच्चों ने भी नजरानए अकीदत पेश किया।

नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211

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