आम से खास बनने के चक्कर में जहर उगलने वालों नेताओं ने सुर

अब्दुल मुईद सिटी रिपोर्टर एसएम न्यूज़24टाइम्स बाराबंकी

कई नेताओं ने बदल लिया है अपना रूप व रंग

बाराबंकी। विधान सभा चुनाव की तैयारी को लेकर कई नेताओं ने अपने सुर बदल लिए हैं, कोई ज्यादा आक्रामक हो गया है तो कोई सजातीय वोट को बचाने के साथ-साथ अन्य वोटरों में धुव्रीकरण करके सेंधमारी शुरू कर दी है। वहीं दूसरी तरफ जनता के मूड का अंदाजा भी नेता नहीं लगा पा रहे हैं। आम से खास बनने के चक्कर में नेताओं को क्या से क्या करना पड़ेगा इसका अंदाजा तो उनको भी नहीं लग पा रहा है। वही राजनीति के चक्कर में मुँह से निकलने वाला जहर अब मधुर हो गया है। कई नेताओं ने तो अपना कुचेल बदलकर जनता तक पहुंच भी जारी कर दी है।

जनपद में मौजूदा समय में चल रहे राजनैतिक समीकरण में कई नेता दूर-दराज के पैदा हो गये हैं और संभावित क्षेत्र में अपनी चहल कदमी चालू कर दी है, यहां तक छोटे-छोटे कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर अपनी उपस्थिति दर्शा रहे हैं। कई नेता तो आम से खास बनने के चक्कर में मुँह के बोल भी बदल लिये हैं। विपक्ष में बैठने वालों को आज कल स्वप्न में भी कुर्सी दिख रही है। अब अपनी-अपनी सरकार की बड़ाई की बात करते हैं। अब उन्हें सरकार के किसी भी फैसले में कई बुराई नजर आने लगी है तो वहीं सत्ता पक्ष की तरफ से दवा ठोक रहे प्रत्याशियों में सरकार की हर नीतियों में अच्छाई नजर आने लगी है। जनहित में महंगाई के मुद्दे को नहीं उठाया जा रहा है, बल्कि छोटी-छोटी घटनाओं को तूल दिया जा रहा है।
मालूम हो कि सत्तापक्ष के नेता जब विपक्ष में थे तो महंगाई को लेकर खूब छाती पीटते थे। डीजल, पेट्रोल, प्याज, टमाटर में हुई वृद्धि को नाजायज ठहराया जाता था किन्तु वर्तमान में सत्ता पक्ष की तरफ से दावा ठोक रहे कई नेता महंगाई के मुद्दे पर मौन धारण कर लिये हैं। अब आम जनता की जेब की कोई चिंता नहीं हैं उन्हें अब खजाने की चिंता सताने लगी है। कल तक विपक्ष में बैठकर बड़ी-बड़ी गप्पे हाँकते थे। वास्तव में सत्ता सुख भोगने के लिए नेताओं की लार इतनी टपकती रहती है कि कब व्यक्तिगत फायदा होगा बस इसी बारे सोचते रहते हैं। कल तक विपक्ष में बैठने वाले वर्तमान में सत्ता पाकर जनता के मुद्दों को भूल गये है जिससे सबसे ज्यादा किसान और आम जनता परेशान है। सत्ता पक्ष के नेता तो महंगाई को विकास की दृष्टि से देख रहे हैं तथा अपने कुतर्कों द्वारा महांगई को जायज ठहरा रहें हैं। वहीं दूसरी तरफ कल तक सत्ता का सुख भोगने वाले वर्तमान सरकार द्वारा लिये गये निर्णय का विरोध कर रहे हैं। क्या सत्ता सुख के खातिर पार्टियाँ एक-दूसरे का विरोध करती है? भावी विधायक आज कल क्षेत्र की पल-पल की घटनाओं पर नजर रहें हुए, कई नेता तो विधान सभा क्षेत्रों में मुखबिरों की नियुक्ति भी कर दी है। कई विधानसभा में तो एक ही पार्टी से आधा दर्जन प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं।
अब बात करते है कि नेता आयेंगे और जायेंगे किन्तु जनता को क्या मिलेगा? जनता हमेशा से नेताओं का शिकार बनी है और बनती रहेगी, वर्तमान में आम जनता की कमर टूटी हुई है, डीजल के मूल्यों में वृद्धि के कारण आम चीजों के भी दाम बढ़ जाते हैं वहीं खाद्य तेलों के बढ़ोत्तरी से खाद्य सामग्रियों के मूल्यों में लगातार वृद्धि जारी है। 5 रूपये में मिलने वाला समोसा अब 8-10 रूपये में मिलने लगा है। धीरे-धीरे जनता कर्जदार होती चली जा रही है किन्तु महंगाई पर कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं उसकी चिंता है सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने की और कुर्सी हासिल करने की। अब्दुल मुईद सिटी रिपोर्टर एसएम न्यूज़24टाइम्स बाराबंकी

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