प्रियंका पर भाजपा की कूटनीतिक अनदेखी व बेचैन मायावती! रणनीति के तहत भाजपा के दूसरी पंक्ति के नेता दे रहे हैं प्रियंका को जवाब?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

पुनिया के बाद अब प्रियंका गांधी बनी मायावती की आँखों की किरकिरी!

देश में मोदी व अमित शाह को सीधी टक्कर देने में जुटी है भाई-बहन की जोड़ी?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

?? कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भाजपा की सरकार पर कभी भी हमलावर होने से नहीं चूकती। ट्यूटर से लेकर सड़क तक प्रियंका कांग्रेस का डंका सरकार के खिलाफ बजा रही है। कूटनीतिक रणनीति के तहत भाजपा श्रीमती गांधी के हर हमले का अनदेखा जवाब दूसरी पंक्ति के भाजपा नेताओं से दिलवा रही है! वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में डॉक्टर पी एल पुनिया के बाद अब प्रियंका बेचैन बसपा सुप्रीमो मायावती की आंखों की किरकिरी बन गई प्रतीत हो रही हैं?

कड़ाके की ठंड के बीच देश में भाजपा एवं कांग्रेस के बीच राजनैतिक वार का दौर सरगर्मी के साथ जारी है। सी ए ए के मुद्दे पर भाजपा अपने उठे कदमों पर अडिग है तो वहीं कांग्रेस ने इसका विरोध करना देश स्तर पर जारी कर रखा है। बीते शनिवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लखनऊ में थी। तो वहीं दूसरी ओर असम में उनकी भाई पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी। कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौके पर भाई-बहन की इस जोड़ी ने कांग्रेसियों में जमकर उत्साह का संचार करने का प्रयास किया। इसके साथ ही भाजपा की केंद्र तथा प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर हमले भी किए। यही नहीं प्रियंका दो कदम आगे बढ़ती नजर आई। उन्होंने विपक्ष के कई दलों को आईना दिखाते हुए कहा कि क्या कारण है कि कई दल केंद्र की भाजपा सरकार के विरुद्ध लड़ाई में तेजी नहीं दिखाते! शायद उनमें कोई डर व्याप्त है! कांग्रेस अकेले ही जनता के लिए संघर्ष कर रही है। फिलहाल कांग्रेस अकेले ही केंद्र सरकार के विरुद्ध उसकी खराब नीतियों का विरोध करती रहेगी।

प्रियंका गांधी ने जब से उत्तर प्रदेश में प्रभारी बनने के बाद कांग्रेस की बागडोर को संभाला है उन्होंने कांग्रेस की ओवरहालिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कई ऐसे नेता जो केवल कांग्रेसी होने के नाते कांग्रेस पर कुंडली मारकर बैठे रहते थे उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है ।यही नहीं सोनभद्र से लेकर उन्नाव, संभल, टप्पल में जो बलात्कार की घटनाएं घटी उस पर भी प्रियंका ने काफी हमलावर रुख अख्तियार किया था। ताजा मामला लखनऊ का सामने आया है। जहां राष्ट्रीय महासचिव पुलिस से सीधी भिड़ती नजर आई।

कांग्रेस के स्थापना दिवस को संबोधित करने के बाद पूर्व पुलिस अधिकारी दारापुरी के आवास की ओर बढ़ी प्रियंका की उत्तर प्रदेश पुलिस से भिड़ंत हो गई। पुलिस उन्हें आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी। पुलिस का तर्क था कि मामला सुरक्षा का है और यह रूट पहले से निर्धारित नहीं है। तो वहीं प्रियंका सीधे दारापुरी एवं एक अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता के घर जाने को अडिग थी। आखिरकार राजनीतिक ड्रामा आगे बढ़ा और प्रियंका एक स्कूटी पर बैठकर आगे बढ़ी, फिर उन्हें रोका गया उसके बाद वह पैदल चलकर दारापुरी के घर पहुंच गई! उन्होंने वहां दारापुरी की बीमार पत्नी से भेंट की और बाहर निकल पर योगी सरकार पर जम के आरोप लगाए।

प्रियंका ने साफ कहा पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की। उन्हें धक्का दिया ।उन्हें गिराया। उनका गला तक पकड़ा। प्रियंका यहीं नहीं रुकी। उन्होंने साफ कहा कि मैं कांग्रेस की महासचिव हूं भाजपा की सरकार से पूछ कर कहीं आऊंगी और जाऊंगी नहीं। जहां जनता व कार्यकर्ता को मेरी जरूरत होगी वहां मैं जाऊंगी। उन्होंने मोदी सरकार को कायरों की सरकार बताया और योगी सरकार को बर्बरता फैलाकर युवाओं की आवाज को बंद करने वाली सरकार बताया। पूरे प्रकरण में राष्ट्रीय महासचिव ने कांग्रेसियों को यह संदेश दिया कि कांग्रेस सड़क पर उतरकर संघर्ष करके ही दोबारा सत्ता में आ सकती है! वहीं उन्होंने देश स्तर पर यह संदेश भी जनता में दिया कि भाजपा की केंद्र सरकार को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो केवल कांग्रेस ही दे सकती है? बाकी अन्य विपक्षी कई दल केंद्र की सरकार से डरे और सहमे हुए हैं? जाहिर है कि प्रियंका की इस सक्रियता से प्रदेश में मृत पड़ी कांग्रेस संजीवनी पाती हुई नजर आ रही है! कार्यकर्ता उत्साह में भरा नजर आ रहा है!

आक्रमक प्रियंका गांधी पर भाजपा ने बहुत ही कूटनीतिक रवैया अपना रखा है। भाजपा के शीर्ष नेता प्रियंका पर बहुत कम बोलते नजर आए हैं! खासकर उत्तर प्रदेश में जब ऐसी स्थिति आती है तब भाजपा की दूसरी पंक्ति के नेता अथवा प्रवक्ता ही प्रियंका के हमलों का जवाब देने के लिए सामने लाए जाते हैं? जिसके स्पष्ट राजनीतिक अपने कारण है? दरअसल भाजपा प्रियंका पर सीधे हमलावर हो करके प्रियंका को आगे आने का मौका नहीं देना चाहती! भाजपा को यह मालूम है कि यदि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राहुल गांधी एवं सोनिया गांधी के बाद प्रियंका पर हमलावर हुआ तो यह स्थिति भाजपा विरोधियों के लिए व्यापक ध्रुवीकरण की स्थिति बन जाएगी! जिससे भाजपा को निपटने में कड़ी मेहनत करनी होगी ! प्रियंका की कूटनीतिक अनदेखी करके भाजपा उन्हें गंभीर तवज्जो नहीं देना चाहती?

भाजपा ने कल कांग्रेस महासचिव के द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि गांधी परिवार की पूरी राजनीति झूठ पर आधारित है। यही नहीं भाजपा के एक नेता ने तो इसे प्रियंका की नौटंकी बता डाला। यही नहीं आनन-फानन पुलिस का पक्ष भी तत्काल सामने लाया गया। अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी पर सीधा बोलने में बहुत जल्दबाजी नहीं दिखाते? उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी एवं प्रदेश सरकार के प्रवक्ता अथवा मंत्री उनके विरुद्ध बोलते हैं।कुल मिलाकर भाजपा कूटनीतिक चाल के तहत कांग्रेस को ज्यादा वजन नहीं देना चाहती? भाजपा यह नहीं चाहती कि देश स्तर पर ज्यादातर प्रदेशों में सीधी लड़ रही कांग्रेस जिन प्रदेशों में कमजोर है वहां वह विपक्षी के तौर पर मजबूती से उभरे?

उधर दूसरी ओर प्रियंका गांधी की आक्रमक सक्रियता से यदि कोई अंदर खाने में ज्यादा परेशान है तो वह है बसपा सुप्रीमो मायावती? बसपा सुप्रीमो मायावती प्रियंका की किसी भी कदम ताल से चौकन्नी हो जाती हैं। उन्हें यह डर सताने लगता है कि कहीं उनका मूल दलित वोट बैंक अपने पुराने घर कांग्रेस की ओर ना लौट जाए?
सनद हो कि मायावती के लिए अभी तक कांग्रेस में प्रवक्ता डॉ पी एल पुनिया ही आंखों की किरकिरी थे! लेकिन अब प्रियंका भी उनकी बेचैनी बढ़ाते हुए उनके आंखों की किरकिरी बनी नजर आ रही है? तभी तो मायावती ने बिना समय गवाएं यह कह डाला कि कांग्रेस को स्वयं आत्मचिंतन की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कांग्रेस सत्ता से उतरी तब उसे वह याद आया जो सत्ता में रहते याद रखना चाहिए था?

स्पष्ट है कि जिस प्रकार से प्रियंका गांधी ने विपक्षी दलों पर डरने का आरोप लगाया है उसका सीधा निशाना सपा और बसपा पर तो था ही? अलबत्ता देश के अन्य प्रदेशों में भी विपक्षी नेताओं पर भी था! जो कहीं न कहीं भाजपा का ऐसा जोरदार विरोध नहीं कर पा रहे हैं जैसी भाजपा विरोधी जनता को उनसे उम्मीद है? कुल मिलाकर आक्रामक प्रियंका गांधी पर भाजपा की कूटनीतिक अनदेखी के मायने समझ में आते हैं! तो वहीं बसपा नेत्री मायावती की बेचैनी भी राजनीति के जानकार अथवा जनता को भी समझ में आ रही है? जिसे जान व समझकर कांग्रेस के कूटनीतिज्ञ रणनीतिकार मन ही मन मुदित है। क्योंकि मोदी एवं अमित शाह की जोड़ी के विरुद्ध राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी की जोड़ी ही आमने सामने ताल ठोकती नजर आ रही है। हां ममता बनर्जी की गर्जना भी इस माहौल में अपना स्थान बनाए हुए हैं?कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

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