रिपोर्ट में जेएनयू हमले में कुलपति साज़िशकर्ता क़रार दिए गये
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पांच जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा पर एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमले का उद्देश्य छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों डराना और धमकाना था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हमले कुलपति के समर्थन और प्रोत्साहन से अंजाम दिए गये।
कांग्रेस पार्टी ने हमले के तुरंत बाद अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव की अध्यक्षता में फैक्ट फाइंडिंग समिति बनाने का फ़ैसला किया था। समिति में देव के अलावा एर्नाकुलम के सांसद हीबी ईडन, पार्टी की नेता अमृता धवन और राज्यसभा सांसद डॉ. सईद नसीर हुसैन शामिल थे।
जांच समिति द्वारा एकत्र किए गए सबूतों से पता चला है कि सशस्त्र हमलावरों को ड्यूटी पर सुरक्षा कंपनी द्वारा व्यवस्थित रूप से अंदर और परिसर में इकट्ठा किया गया था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा को सुविधाजनक बनाने में कुछ फैकल्टी सदस्यों की सक्रिय भागीदारी भी रही है।
रिपोर्ट में हमले में दक्षिणपंथियों के शामिल होने का संकेत दिया गया।. रिपोर्ट में कहा गया कि यह मानने का हर कारण है कि कैंपस में छात्रों और शिक्षकों पर हमला करने वाली भीड़ का संबंध दक्षिणपंथी गुटों से था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमलावरों ने उन छात्रों और फैकल्टी सदस्यों को नहीं छुआ जो धर्म विशेष के छात्रों पर सही और उद्देश्यपूर्ण हमलों के समर्थन में थे।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि विश्वविद्यालय के कुलपति एम. जगदीश कुमार घटना के साज़िशकर्ता थे।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि 2016 में अपनी नियुक्ति के बाद से, कुलपति ने विश्वविद्यालय में फैकल्टी में ऐसे लोगों की नियुक्ति की जो उन पदों के योग्य नहीं थे और केवल उन्हीं को पदोन्नत किया जो उनके अनुरूप हों और दक्षिणपंथी विचारधारा के प्रति झुकाव रखते हों।