रामलीला के तीसरे दिन हुआ फुलवारी लीला अहिल्या उद्धार का मंचन

नेवाज अंसारी संवाददाता तहसील रामसनेहीघाट

मसौली बाराबंकी। कस्बा बड़ागांव में तिलवा पूजन के साथ शुरू होने वाली ऐतिहासिक धनुषयज्ञ रामलीला के तीसरे दिन फुलवारी लीला अहिल्या उद्धार का मंचन हनुमत नाटय कला केंद्र अयोध्या के कलाकारों द्वारा किया गया।         राजा जनक जी द्वारा सीता स्वयंबर धुनष यज्ञ का निमंत्रण विश्वामित्र के पास मुख वल्लभ द्वारा भेजा गया। अपने गुरू से राम और लक्ष्मण आग्रह करते हैं कि वे भी जनकपुर नगरी देखने के इच्छुक हैं। विश्वामित्र उनको लेकर जनकपुर के लिए प्रस्थान करते हैं। रास्ते में अहिल्या का उद्धार कर उन्हें पतिधाम को भेजते हुए आगे बढ़ते हैं। गंगा के निर्मल जल को देखते हुए मुनिवर से पूछते हैं कि ये कौन सी सरिता है,जिसका जल इतना निर्मल है। विश्वामित्र बताते हैं कि आप के बंशज में एक राजा भगीरथ हुआ करते थे जो अपने साठ हजार पितरों के कल्याण हेतु गंगा को भूतल पर लाये थे। गुरुदेव ने दोनों भाइयो को स्नान एव ब्राह्माणों को दान देंने का आदेश दिया। विश्वामित्र जनकपुर राज्य में पहुंच कर राम को जनक की फुलवारी में पुष्प लाने के लिए भेजते है। उधर फुलवारी में गौरी पूजन हेतु सीता जी भी आई हुई हैं। राम को पुष्प चुनते देख सीता की एक सहेली उनका सुंदर मुखड़ा देख कर मूर्छित हो जाती है। यह देख राम फूलों के झुंड में छिप जाते हैं। सीता की सहेली जब होश में आती है तो वो राम के सुंदरता का वर्णन करने लगती है। कहती है कहां हैं राजकुमार, हमें भी दिखाओ तभी राम सामने आ जाते हैं। राम से सीता की निगाहें मिलते ही वे मोहित हो जाती है औन मन में सोचती है कि काश राम से मेरा विवाह हो जाता। इस मौके पर मेला कमेटी अध्यक्ष वेद कुमार वर्मा, श्यामाचरण गुप्ता, कल्लूराम यादव, बबलू वर्मा, उमेश जयसवाल, मनमोहन सैनी, राजेंद्र यादव, कमलेश यादव, रतिभान यादव, नैमिलाल, लल्लू, अवधराम गुप्ता, सुबोध श्रीवास्तव, आशीष त्रिवेदी सहित भारी संख्या में भक्तगण मौजूद थे।

नेवाज अंसारी संवाददाता तहसील रामसनेहीघाट

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