फिलिस्तीन में क़ासिम सुलैमानी का फोटो

हम यह मानते हैं कि कासिम सुलैमानी की हत्या विदेशमंत्री पोम्पियो के लिए एक बड़ी कामयाबी है क्योंकि क़ासिम सुलैमानी, बहुत अधिक सूझबूझ के मालिक और बड़े रणनीतिकार थे और क्षेत्र में इस्राईल, दाइश की पराजय, इराक़ के विभाजन की मसऊद बारेज़ानी की योजना की नाकामी, यमन  में सऊदी अरब की हार जैसी उपलब्धियों का सेहरा उनके सिर बांधा जाता है, मगर उनकी यह कामयाबी, खतरों भरी है और उसके परिणाम, इराक़ से अमरीकी सैनिकों को खदेड़ने की कोशिश के रूप में सामने आना शुरु हो गये हैं।
अमरीकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ईरान के सिलसिले में जुनून का शिकार हैं और उनके इस जुनून से मध्य पूर्व में अगर सब नहीं तो अधिकांश अमरीकी योजनाओं पर पानी फिरता नज़र आ रहा है। उन के जुनून की वजह से इस्राईल का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है इस लिए हमें यह लगता है कि इस तरह के जुनून में ग्रस्त जॉन बोल्टन का जो अंजाम हुआ है वही, माइक पोम्पियो का भी इंतेज़ार कर रहा है।
अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क इस्पर ने साफ शब्दों में कहा है कि माइक पोम्पियो की इस दावे का कोई सुबूत नहीं है कि ईरान अमरीका का चार दूतावासों पर हमला करना चाहता था। यह वही दावा है जिसे अमरीका जनरल क़ासिम सुलैमानी, अबू मेहदी अलमुहन्दिस और उसके साथियों की हत्या के लिए बहाने के तौर पर पेश करता है। अमरीकी रक्षा मंत्री के इस बयान से पता चलता है कि पोम्पियो का जुनून और उससे अमरीका के लिए खतरों की धमक  ट्रम्प के कानों तक पहुंचने लगी है।

Don`t copy text!