जनपद में राजनैतिक नेताओं की रहम पर चल रहे हैं कई सामाजिक संगठन

रिपोर्ट शमीम अंसारी: अब्दुल मुईद (एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)

नेताओं की फंडिंग से कराते हैं बडे़ बड़े कार्यक्रम, छपास रोग से ग्रसित नजर आ रहे हैं संगठन के मुखिया।

बाराबंकी। जनपद बाराबंकी में दर्जनों सामाजिक राजनीतिक संगठन संचालित हैं, जो अपने आपको समाज सेवा व बिरादरी वा भ्रस्टाचार विरोधी । विकास के लिए समर्पित बताते हैं लेकिन अन्दर ही अन्दर उनके तार बड़े-बड़े राजनैतिक आकाओं से जुड़े होते हैं। वहीं नेता उनको फंडिंग करते हैं और उन्हीं के इशारे पर पूरा संगठन चलता है। जनपद में लगभग ज्यादातर बिरादरी वाद समाजिक संगठन वह भारसटाचार विरोधी है। और उस संगठन को संचालित करने वाला व्यक्ति किसी न किसी राजनैतिक आकाओं के आगे घुटने टेकता हुआ नजर आ रहा है। और वहीं चुनाव के समय राजनैतिक नेताओं ने सामाजिक संगठनों से समर्थन देने के लिए वाहन के साथ साथ प्रतिदिन का खर्चा भी मुहैय्या करवा रहे हैं। ऐसे में समाज के लोगांे को जागरूक रहने की आवश्यकता है वरना आपकी जाति व बिरादरी व समाज सेवा के नाम पर बनें संगठन, आपको बेच देंगे आपको पता भी नहीं चलेगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद में कई तरह सामाजिक व बिरादरी वाद को बढ़ावा देने वाले सामजिक राजनीतिक संगठन चल रहें हैं, लेकिन वास्तव में उनके पीछे किसी न किसी राजनैतिक पार्टी के बड़े आकाओं का हाथ होता हैं, जिनके इशारे पर ही संगठन के लोग प्रशासन व शासन पर धौंस जमाते हैं, वहीं अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए धरना प्रदर्शन भी करने लगते हैं। जनपद में लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों के संरक्षण में कई सामाजिक संगठन चल रहे हैं, और यह संगठन लगातर चर्चा में बने रहने के लिए तरह-तरह के कुचक्र रचा करते हैं। संगठन के कर्ता धर्ता पांच साल सोते रहते हैं किन्तु जब चुनाव आता है तो यही संगठन तेजी पकड़ लेते हैं और फिर अपने साथ फलां समाज मेरे साथ कहकर अन्य दलों से वोट दिलाने के नाम पर जोड़तोड़ करते नजर आते हैं। जनपद में कई सामाजिक संगठन जिनका समाज से कोई वास्ता व सरोकार नहीं उनका मुख्य उद्देश्य अपने आपको बचाना और बाद में मोटी रकम लेकर अपनी नेतागिरी चमकाना। वहीं संगठन की आड़ में कई संगठन के पदाधिकारी चुनाव लड़कर माननीय बनने का दिव्य स्वप्न देखे रहे है, किन्तु टिकट न मिलने के कारण वर्तमान समय में अपनी ही पार्टी की लुटिया डुबोने में नजर आ रहे हैं। जनपद में ऐसे भी संगठन भी है जो चुनाव के समय जागता है और बाद में विलुप्त हो जाता है, ऐसे संगठन के पदाधिकारी सफेद कुर्ता पहनकर एकदम मुर्दे की भांति ऐंठकर चलते हैं और चुनाव के बाद उनके दम निकल जाते हैं। सूत्रों से पता चला है कि कई संगठन दलाली में लगे हैं जिनका वर्चस्व प्रशासनिक अधिकारियों तक हैं,

जिस कारण उनके खिलाफ अगर कोई आम जनता शिकायत करती हैं तो वही अधिकारी उस संगठन को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं। सामाजिक संगठन के साथ-साथ जनपद में कई अराजक तत्वों ने किसानों के नाम से भी संगठन बना रखे हैं। जिनके संगठन में कोई किसान न होकर सिर्फ अपराधी व दलाली करने वाले पदाधिकारी बने हुए देखे जा सकते हैं। क्या जनपद में चल रहे सामाजिक व अराजनैतिक संगठन इसी तरह चलते रहेंगे या इनके खिलाफ कोई कार्यवाही होगी यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

कई संगठनों के मुखियाओं पर दर्ज है संगीन मुकदमें।

मालूम हो कि जनपद में चल रहे सामाजिक व अराजनैतिक संगठनों के मुखियाओं व पदाधिकारियों पर दर्जनों मुकदमा दर्ज हैं, अपने को बचाने के लिए संगठन की आड़ लेकर तरह-तरह से दबाव बनाते हैं, स्थानीय पुलिस सब कुछ जानकर भी कार्यवाही करने में डरती है जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं। धीरे-धीरे कई संगठन के पदाधिकारी पुलिस की मुखबिरी भी करते हैं और रूपया लेकर काम कराने का ठेका भी लेते हैं। ज्यादातर संगठन के पदाधिकारी चौकी, थाना व उच्चाधिकारियों के यहां आपको बैठे हुए नजर आयेंगे, यहीं लोग जनता को पुलिस का डर दिखाकर जनता से पुलिस के नाम पर वसूली करते दिख जायेंगे।

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