जनता ने लगाई विकास पर मुहर, ईवीएम से निकला ‘राशन और शासन

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विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर जिले में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया है। इस बार भाजपा की जीत में ‘लाभार्थी वोट बैंक’ सबसे बड़ा मददगार बना है। केंद्र व राज्य सरकार की लाभार्थीपरक योजनाएं ईवीएम से वोट के रूप में प्रत्याशियों के खाते में गई हैं। राशन, आयुष्मान, पीएम सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना व बेहतर कानून व्यवस्था के लिए जिले के हर वर्ग व समाज के मतदाताओं ने भाजपा पर भरोसा जताया है। एससी वोट बैंक हो या फिर जाट लैंड। हर जगह भाजपा को भरपूर वोट मिलें। कई मुस्लिम इलाकों में भी भाजपा ने वोट हासिल किए। इसी का परिणाम के सातों सीटें भाजपा के खाते में चली गई हैं।जिले की सात विधानसभा सीटाें पर कुल 27.65 लाख मतदाता हैं। हर बार सभी राजनैतिक दल प्रत्याशियों को उतारने के लिए सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला अपनाते हैं। धार्मिक धुव्रीकरण के साथ ही जातिय समीकरणों को साधने की भी भरपूर कोशिश रहती है। इस बार भी भाजपा, सपा, बसपा व रालोद ने जातीय व धार्मिक समीकरणों को देखते हुए चुनावी मैदान में प्रत्याशियों को उतारा था, लेकिन इस बार भाजपा के लिए लाभार्थीपरक मतदाता चुनावी नैया पार कराने में सबसे बड़े खेवनहार बने हैं। चुनावी परिणाम को देखते हुए जानकारों का मानना है कि केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं से लाभांवित कुछ लाभार्थियों ने जाति व समुदाय से हटकर वोट किए हैं। भाजपा को सबसे बड़ा फादय राशन से हुआ है। अतरौली विधानसभा से लेकर इगलास विधानसभा क्षेत्र तक में कुछ एससी बाहुल्य बूथों पर भी भाजपा को बंपर वोट मिले हैं। हर बार इन बूथों पर बसपा का कब्जा रहता था। इसी तरह किसान सम्मान निधि और पीएम आवास योजना का भी भाजपा को फायदा मिला है। गांव देहात व नगरीय निकायों में लाभार्थियों के वोटों से प्रत्याशियों को झोला भर गया है। उज्जवला योजना से भी महिला मतदाताओं के वोट मिले माने जा रहे हैं। आयुष्मान योजना व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को मिले रोजगार से भी भाजपा को फायदा पहुंचा है।

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