वंदना काठियावाड़ के संत की… पूर्व सूचना निदेशक एस.के.ओझा ने किया कवि सम्मेलन का शुभारम्भ

मामुन अंसारी संवाददाता बाराबंकी

बाराबंकी। पं गोकुल प्रसाद एवं रामकुमारी सेवार्थ ट्रस्ट द्वारा देवा रोड स्थित गांधी भवन में बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में राष्ट्र वंदना काव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि सुधेश कुमार ओझा पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने किया। जिसकी अध्यक्षता जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन धीरेन्द्र कुमार वर्मा ने की। समारोह का शुभारम्भ सेवानिवृत आईएएस अधिकारी सुधेश कुमार ओझा और धीरेन्द्र कुमार वर्मा एवं ने मां सरस्वती की मूर्ति पूजा करके की। तदोपरान्त दीप प्रज्वलित कर समारोह की विधिवत शुभारम्भ किया। इस दौरान मुख्य अतिथि श्री ओझा ने कहा कि बसंत ऋतु परिवर्तन का पर्व है। जो सारे विश्व में आता है परन्तु भारत का बसंत कुछ विशेष होता है। बसंत ऋतु में श्रृंगार रस की प्रधानता होती है। इस दिन मां सरस्वती की उपासना से मनुष्य को बुद्धि, ज्ञान का लाभ होता है। बसंत ऋतु के आते ही पेड़ पौधों में नयी ऊर्जा का सृजन होता है जिससे उनमें नयी कोशिकाएं पुलकित होती है। ऐसे ही हमें भी अपने व्यक्तित्व और स्वाभाव को बदलना चाहिए।  कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन धीरन्द्र कुमार वर्मा ने कहा कि बसंत ऋतु हमें पर्यावरण से प्रेम करना सीखाती है। आज के दिन हमें वृक्षारोपण कर पर्यावरण को सुरक्षित करने का संकल्प लेना होगा। जिससे आने वाली पीढियों को भरपूर आक्सीजन मिल सके। राष्ट्र वंदना काव्य समारोह के संयोजक प्रसिद्ध गीतकार सतीश श्याम ने अपनी काव्य रचना पढते हुए बताया कि ‘किस-किस द्वार प्रणाम करू मै, कहां कहां मै शीश झुकाऊं।। कलयुग के इस प्रथम चरण में, लाख-लाख भगवान हो गए। प्रभु तुम अंतर्ध्यान हो गए।।’ वही कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे कवि राम किशोर तिवारी ने अपनी कविताओं के माध्यम से बताया कि ‘वंदना काठियावाड़ के संत की। युग प्रवर्तक महा तेज बलवंत की। जिसकी लाठी से तोपें पराजित हुईं, उस महावीर तप पुंज गुणवंत की।’ कवि शिव किशोर तिवारी ‘खंजन’ ने पढ़ा ‘अगर दुनिया मे आकर नाम कर जाऊं तो अच्छा है, जहर के प्याले को गर जाम कर जाऊं तो अच्छा है। जिंदगी स्वार्थ की जीना है तो किस काम का जीना, जिंदगी दूसरों के नाम कर जाऊं तो अच्छा है।।’ ओज के कवि जगदीप अंचल ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा कि ‘हो कोई पंथ याकी पूजने की हो विधा कोई, हमारे भाव करते वंदना हैं अन्नदाता की।’ बहराइच से आए हास्य कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने कविता पढ़ते हुए कहा कि ‘भेड़िए भी बकरियों की खोल लेकर आ गए। और काऊऊवे कोकिलों के बोल लेकर आ गए। देश को पहले जलाया फिर बुझाने के लिए, दुष्ट नेता जीभ पर पेट्रोल लेकर आ गए।’कवि सचिन साधारण ने सुनाया कि ‘प्रिय मिलन की गजल गुनगुना दीजिए, जिन्दगी ये सुगन्धित बना दीजिए। एक है प्रार्थना कान के पास प्रिय, कंगनो को जरा खनखना दीजिए।।’कवि सम्मेलन में आए सभी काव्य स्वरों ने श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। वहीं सम्मेलन में ट्रस्ट के संरक्षक राजनाथ शर्मा, अध्यक्ष मृत्युंजय शर्मा और सचिव अश्वनी शर्मा और रिजवान रजा ने सभी कवियों का पुष्प गुच्छ और अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत सिंह यादव, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एन.एन अवस्थी, वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर त्रिपाठी, रणधीर सिंह सुमन, अनन्त कुमार पाण्डेय, समाजसेवी अशोक शुक्ला, स्टेशन अधीक्षक विनय कुमार शुक्ला, विनय कुमार सिंह, रंजय शर्मा, शिवशंकर शुक्ला, वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार आलोक सिंह, नीरज दुबे, सत्यवान वर्मा, संतोष शुक्ला, उदय प्रताप सिंह, ज्ञान तिवारी, रवि प्रताप सिंह, पवन शर्मा, अशोक तिवारी, लवकुश शमरण आनन्द, राॅकी शर्मा, प्रद्युम्न कुमार सिंह, संजय सिंह, शिवा शर्मा, आदित्य यादव, इन्दिरा शर्मा, श्वेता शर्मा, माधुरी मिश्रा, सरिता शर्मा, आशीष बाजपेयी, गोविन्द प्रसाद शर्मा, मनीष कुमार, आदित्य खेतान, सहित कई लोग मौजूद रहे।

 

मामुन अंसारी संवाददाता बाराबंकी

 

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