क्या अमरीका और यूरोप ने यूक्रेन में रूस को फंसा दिया है?

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रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 6 महीनों से जारी युद्ध में यूक्रेनी सेना जहां अग्रिम मोर्चे पर रूसी सैन्य टुकड़ियों के साथ संघर्ष कर रही है, वहीं रूस अपनी सेना का दायरा और अधिक बढ़ा रहा है।

इस युद्ध में यूक्रेन को अपने से कई गुना ज़्यादा ताक़तवर दुश्मन का सामना है, लेकिन वह रूस को अधिक आगे बढ़ने से रोकने के लिए पूरी तरह से यूरोप और अमरीका की मदद पर निर्भर है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने गुरुवार को ही रूसी सशस्त्र बलों में 1 लाख 37 हज़ार नई भर्तियों के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस तरह से अब रूसी सैन्य बलों की संख्या 11 लाख 50 हज़ार हो जाएगी। इस आदेश में उल्लेख किया गया है कि रूसी सशस्त्र बलों की शक्ति में वृद्धि के बाद अब यह संख्या 20 लाख 7 लाख 58 हज़ार हो जाएगी, जिसमें सैनिकों की संख्या 11 लाख 50 हज़ार होगी। यूक्रेन को बड़े पैमाने पश्चिम की सहायता को देखते हुए यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि यह युद्ध लंबा चलने वाला है। पश्चिमी सैन्य और ख़ुफ़िया अधिकारियों का दावा है कि यूक्रेन में मरने वाले रूसी सैनिकों की संख्या, 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान में सोविय संघ के मरने वाले सैनिकों की संख्या से भी ज़्यादा हो चुकी है। इस तरह की परिस्थितियों में रूस को अपनी सेना के ढांचे में सुधार और अधिक सैनिकों की ज़रूरत है। इसी ज़रूरत के मद्देनज़र पुतिन ने सैन्य बलों की संख्या में वृद्धि का आदेश जारी किया है।

24 फ़रवरी को जब रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन में विशेष सैन्य ऑप्रेशन का एलान किया था तो कहा था कि रूसी सेना लोहांस्क और दोनेस्क के इलाक़ों में लोगों को यूक्रेन के अत्याचारी सैनिकों से मुक्ति दिलाने के लिए विशेष ऑप्रेशन शुरू कर रही है। इसी के साथ उन्होंने कहा था कि इस विशेष सैन्य ऑप्रेशन से हमारा एक दूसरा मक़सद यूक्रेन को न्यू नाज़ियों से निजात दिलाना है। रूस के रक्षा मंत्री सरगेई शुवेगो ने यूक्रेन पर हमले को जायज़ ठहराते हुए कहा था किएव डोनबास के इलाक़े के लोगों और रूस के लिए एक ख़तरा बन गया है। इसीलिए यूक्रेन में विशेष सैन्य ऑप्रेशन शुरू करना ज़रूरी हो गया था। हालांकि जैसी मास्को को उम्मीद थी उसके अनुसार उसे यूक्रेन में सफलता हासिल नहीं हो सकी और यह लड़ाई कम समय में ख़त्म नहीं हुई। इसलिए युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही मास्को ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया और अपना ध्यान पूरी तरह से पूर्वी यूक्रेन पर केन्द्रित कर दिया है। लेकिन जैसा कि स्पष्ट है कि यह युद्ध अब सिर्फ़ रूस और यूक्रेन के बीच नहीं लड़ा जा रहा है, बल्कि यूक्रेन पश्चिम के लिए एक प्रॉक्सी वार लड़ रहा है, इसलिए रूस को अपनी सेना को अधिक शक्तिशाली बनाने और हथियारों को अधिक धार देने की ज़रूरत है।

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