महिला गुजारा भत्ता न बने पुरुष शोषण का हथियार”पत्नियों को “परजीवी” नहीं, “आत्मनिर्भर” बनाओ

अब्दुल मुईद सिटी-रिपोर्टर (एस0एम0 न्यूज 24टाइम्स) 9936900677

बाराबंकी: गुजाराभत्ता” अर्थात अपने गुज़र-बसर के लिए किसी अन्य पर आश्रित होना किसी भी समाज के लिए शर्मनाक है, जबकि आत्मनिर्भर व्यक्ति आत्मसम्मान के साथ जीता है | समर्थ होने के लिए कोई उम्र या आयु सीमा नहीं होती है, यह आवश्यकता और परिस्थिति पर निर्भर करता है | स्त्री को कमजोर मानकर उसको समाज की मुख्यधारा में बराबरी पर लाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15(3) में प्रावधान (योजनाएं) बनाने का अधिकार दिया गया था न कि पुरुष वर्ग को प्रताड़ित करके उनसे वसूली या उगाही के लिए |
सन 1973 में जब CrPC 125 के तहत पत्नी, बच्चों व माता-पिता के भरणपोषण हेतु यह कानून लाया गया था तो उस समय भी सिर्फ उन पत्नियों पर लागू था जो अपना भरणपोषण करने में “असमर्थ” थीं | “असमर्थ” होना और समर्थ व्यक्ति द्वारा “आय न करना”, दोनों अलग-अलग शब्द है | इस असमर्थता को CrPC 125 (1) (iii) में इस तरह परिभाषित किया गया है – “जहाँ ऐसी संतान किसी शरीरिक या मानसिक असामान्यता या क्षति के कारण अपना भरणपोषण करने में असमर्थ है” | अर्थात जो व्यक्ति शारीरिक या मानसिक असामान्यता या क्षति का शिकार नहीं है उसे अपना भरणपोषण करने के लिए समर्थ माना जायेगा | वही दूसरी ओर वह व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) जिसके पास “पर्याप्त संसाधन” हैं उसे पूरे परिवार के भरणपोषण लिए जिम्मेदार माना जाता है |
सन 1973 में CrPC 125 के लागू होने के समय स्त्री के संपत्ति अधिकार कम थे, शिक्षा स्तर कम था, नौकरी और व्यवसाय के अवसर कम थे | आज स्त्री “पर्याप्त संसाधन” की अधिकारिणी है, चाहे वह शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय या सम्पत्ति हो | बल्कि कहीं-कहीं तो उनको उत्थान के लिए विशेष अवसर प्राप्त है | सन 2005 में भी “घरेलू हिंसा से सुरक्षा अधिनियम 2005” भी सिर्फ महिला पक्ष में लागू हुआ जिसमें प्रथम पेज पर शुरुआत में ही यह भूमिका बाँधी गई कि “घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज़ न उठाने के पीछे सबसे बड़ा कारण उनका आर्थिक रूप से किसी न किसी के ऊपर निर्भर रहना और घर छिन जाने का डर होता है” | किन्तु इस अधिनियम में कहीं भी स्त्री को “आत्मनिर्भर” बनने को नहीं कहा गया बल्कि पत्नी/स्त्री को परजीवी ही बनाये रखते हुए, अधिकार के नाम पर दूसरे पक्ष को प्रताड़ित करने जैसी व्यवस्था दी गई, जो कि गलत थी | सन 2005 में ही विवाहिता स्त्री को अपने मायके की सम्पत्ति में भाई के बराबर का जन्मसिद्ध अधिकार दिया गया |
आज 2022 में जब स्त्री को भाई के बराबर सम्पत्ति हक मिला है और उसका भाई समर्थ है तो स्त्री को “पर्याप्त संसाधन” होने के बाद भी उन्हें “परजीवी बनाने” की व्यवस्था क्यों लागू है ? जब पति-पत्नी के बीच विवाद है और दोनों ही “पर्याप्त संसाधन” वाले हैं तो आज 21वीं सदी में एक पत्नी/स्त्री के भरणपोषण की जिम्मेदारी पुरुष/ पति–परिवार पर ही क्यों ? अब स्त्री अपना सम्पत्ति अधिकार अपने मायके को दान कर दे, स्वयं काम न करना चाहे, तो उसका ठीकरा पति पर क्यों फोड़ा जाता है ?
अब वक़्त आ चुका है कि स्त्री को परजीवी बनाये रखने की बजाय उसे आत्मनिर्भर बनने की ओर प्रेरित किया जाय | स्त्री को आत्मनिर्भर बनाने का भारत अभियान या अन्य योजनाओं के अंतर्गत इन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाय ताकि ये सम्मान के साथ जियें न कि हर महीने पति से मिलने वाली खैरात के लिए कचेहरी दौड़ें | क्योकि पति की मृत्यु की दशा में इनको सरकार से 500 या 1000 रूपये से ज्यादा की विधवा पेंशन नहीं मिलेगा |
विवाह एक पवित्र “दाम्पत्य सूत्र बंधन” है | अगर कोई इसमें बंधकर परिवार की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता है तो वह अलग होने के लिए स्वतंत्र है | अगर पत्नी को अपने दायित्व नहीं निभाने है तो पत्नी के अधिकार भी नहीं मिलेंगे (No Work – No Pay – No Rights). विवाह व्यवस्था की जिम्मेदारी से निकल कर, अलग आत्मनिर्भर बनने के लिए, छ: माह का नोटिस पीरियड पर्याप्त समय है| न्यायालय में 99% दहेज़ के मुकदमें फर्जी साबित होते आये हैं | दहेज़ आदि के झूठे आरोपों पर गुज़ाराभत्ता दिलाने की बजाय अब इनके 99% झूठे आरोपों पर सख्ती करके, इनसे जमानती लाने व इन पर वसूली की कार्यवाही होनी चाहिए | पूरे भारत में कई पुरुष गुज़ाराभत्ता की इस जबरन वसूली के कारण जेल जा चुके हैं या आत्महत्या कर चुके हैं | इसलिए अब पूरे भारत से 40 से अधिक पुरुष संगठन एकजुट होकर आज दिनांक 27-08-2022 को प्रत्येक राज्य के मण्डल स्तर पर यह प्रेस वार्ता आयोजित करके जनता के बीच जा रहे है? साथ ही संलग्न ज्ञापन विधायिका, न्यायपालिका व सम्बंधित संस्थाओं को प्रेषित किया जायेगा| आज के इस कार्यक्रम में इस विषय पर अपने विचार रखे | सभा के अंत में, इस कार्यक्रम में आये सभी सदस्यों व पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद दिया गया

अब्दुल मुईद सिटी-रिपोर्टर (एस0एम0 न्यूज 24टाइम्स) 9936900677

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