शिवपाल के साथ पूरी प्रसपा का सपा में होगा समायोजन, अखिलेश के ऐलान के बाद सक्रिय हुए दोनों दलों के नेता

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ 9889789714

मैनपुरी से डिंपल की बंपर जीत के बाद जनता का आभार जताने और मुलायम सिंह की समाधि स्थल पर नमन करने सैफई पहुंचे अखिलेश यादव ने ऐलान किया कि चाचा शिवपाल की पार्टी में बड़ी भूमिका होगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि चाचा के साथ सपा में आए सभी प्रसपा कार्यकर्ताओं को सम्‍मान दिया जाएगा,अखिलेश के इस ऐलान के बाद लखनऊ से लेकर यूपी के तमाम जिलों में दोनों दलों के नेता सक्रिय हो गए हैं।शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन भतीजे अखिलेश यादव से बढ़ी दूरियों के चलते किया था। उनकी पार्टी से प्रदेश के कई जिलों में सपा के पुराने नेता जुड़े थे जो शिवपाल के बेहद करीबी माने जाते हैं। अब शिवपाल की वापसी के बाद वे नेता भी अपनी पुरानी पार्टी में लौट आए हैं। गुरुवार को सपा में प्रसपा के विलय का ऐलान होते ही शिवपाल यादव, उनके बेटे आदित्य और अन्य समर्थकों की गाड़ियों से प्रसपा के झंडे उतर गए। सभी की गाड़ियों पर सपा के झंडे लग गए। इस मौके पर भावुक शिवपाल ने कहा कि अब गाड़ी से सपा का झंडा कभी नहीं उतरेगा। इस बदलाव की शुरुआत सैफई से हुई जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव चाचा प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव से सैफई के एसएस मेमोरियल स्कूल में मिलने पहुंचे। यहां उन्होंने चाचा को प्रणाम कर मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल यादव की बड़ी लीड पर बधाई दी और उन्हें सपा के चुनाव निशान वाला झंडा भेंट दिया।

 

अख‍िलेश श‍िवपाल को दे सकते हैं सपा में बड़ी ज‍िम्‍मेदारी, ड‍िंपल की जीत से खत्‍म हुईं दूर‍ियां

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में अपना दम दिखा दिया है। अपनी जसवंतनगर विधानसभा सीट से ही बहू डिंपल यादव को एक लाख से अधिक मतों की बढ़त दिलाकर यह साबित कर दिया कि उनका क्षेत्र में जबरदस्त प्रभाव है।मैनपुरी उपचुनाव में मिली जीत के बाद शिवपाल ने अपनी चार वर्ष पुरानी पार्टी प्रसपा का विलय भी सपा में कर दिया है। इसके साथ ही अब उम्मीद की जा रही है कि शिवपाल फिर सपा में बड़ी भूमिका में नजर आएंगे। उन्हें शीघ्र ही अखिलेश पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं। वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले सपा में वर्चस्व को लेकर संघर्ष शुरू हुआ था। इसी के बाद शिवपाल ने वर्ष 2018 में प्रसपा बना ली थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल की पार्टी को आयोग ने चाबी चुनाव चिह्न आवंटित किया था।चाबी चुनाव चिह्न के साथ लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरी प्रसपा को महज 0.31 प्रतिशत वोट ही मिले थे। बाद में प्रसपा का चुनाव चिह्न चाबी छिन गया था, इसके स्थान पर स्टूल मिल गया था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल सपा के साथ आ गए थे, किंतु उन्हें एक सीट ही अखिलेश ने दी थी। शिवपाल सपा के चुनाव चिह्न पर ही जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। अखिलेश द्वारा विधायकों की बैठक में उन्हें न बुलाए जाने से नाराज हो गए थे।

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