साहब ईमानदारी की खाता हूँ, सुकून है गिरे रुपए वापस कर पेश की ईमानदारी

संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट

बाराबंकी। साहब गरीब हूँ लेकिन फिर भी दिल से अमीर हूँ। खुदा जितना देता है उसमें सुकून है। मेहनत की खाता हूँ। शायद यही अल्लाह का करम है कि अपने परिवार के साथ खुश रहता हूँ। मेरा मानना है पाप-पुण्य, न्याय-अन्याय सब का हिसाब यही इसी जन्म में होता है। यह बात उस ईमानदार शख्स ने कही जो सुबह ही लोगों की सेवा में लग जाता है। वह रुपये में अमीर तो नहीं होगा लेकिन दिल से अमीर जरूर होगा। दरअसल बात यह है कि एक सज्जन देवा रोड़ स्थित महिला थाने के पास मो. नईम की सैलून की पर सेविंग कराने के लिए गए थे। सेविंग कराने के बाद उस सज्जन ने शैलून वाले को रुपए दिए और फिर चला गये। उस व्यक्ति के रुपये निकालने में 500 रुपये की नोट सैलून की दुकान पर गिर गई। रुपए देने के बाद वह सज्जन चला गया। थोड़ी देर बाद उनको यह पता चला कि उनके जेब में 500 रुपये नही है। वह काफी ढूंढते रहे लेकिन रुपये नहीं मिले। उधर जब सैलून वाले को दुकान बंद करने का नंबर आया तो दुकान की सफाई करने लगा। सफाई करने पर उसको 500 रुपये वही पर मिले। सैलून वाले के मन में अब यह विचार आया कि रुपए उस व्यक्ति तक कैसे पहुंचा जाये। सैलून वाले ने काफी मशक्कत के बाद किसी दूसरे सज्जन से दूरभाष के माध्यम से उस शख्स को फोन के द्वारा सूचना दी कि आपके जो 500 रुपये गिरे थे वह मुझे सफाई करते वक्त मिले है। आप आकर रुपए प्राप्त कर लें। मेरा मानना यह है कि जब एक रुपए कम होते है, तो ट्रेन का टिकट नहीं मिलता, एक रुपए कम होने पर दुकानदार सामान नहीं देता। तब मैं यह बात जरूर कह सकता हूं कि अगर उस सैलून वाले ने उस शख्स को रुपए वापस किये वह शख्स वास्तव में ईमानदार होगा। बात सिर्फ 500 रुपये वापस करने की नही, बात यह है कि अगर अधिकारी, कर्मचारी और नेता भी ईमानदारी से काम करने लगे तो वास्तव में देश का विकास होगा, देश तरक्की की राह पर जाएगा और युवाओं का भविष्य उज्जवल होगा। जिस प्रकार से सैलून वाले ने रुपए देकर ईमानदारी पेश की वास्तव में दिल का अमीर होगा।

संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट

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