लॉक डाउन! लातों के भूत बातों से नहीं मानते साहब? पुलिस आती है तब भागते हैं , जाते ही फिर शुरू करते हैं प्रपंच अराजक तत्व? शाम को निकल पड़ते हैं घर से टहलने, प्रशासन की सख्ती जरूरी

कृष्ण कुमार द्विवेदी

बाराबंकी। कोरोना के कहर से आम जनमानस को बचाने के लिए सरकार पूरी गंभीरता से काम कर रही है। लेकिन इससे इतर कुछ ऐसे अराजक तत्व हैं जो पुलिस के आने पर भागते हैं और उसके जाने के बाद फिर भीड़ की शक्ल में प्रपंच करते हैं? जागरूक नागरिकों का इस मुद्दे पर साफ कहना है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते साहब! इसलिए प्रशासन को इन पर सख्ती करनी ही होगी? अन्यथा परिणाम बुरे होंगे।

देश व प्रदेश इस समय कोरोना जैसी महामारी से यथासंभव शक्ति के साथ युद्ध कर रहा है। ऐसे में बाराबंकी जनपद में भी इस महामारी से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी गंभीरता से लगा हुआ है। स्वयं जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह एवं पुलिस कप्तान अरविंद चतुर्वेदी सहित पूरा सरकारी अमला बारीक से बारीक मुद्दे पर सटीक निर्णय लेने में अड़िग दिखता है। अभी तक प्रशासन का रवैया आम जनता के साथ बड़ा ही दोस्ताना रहा है। लेकिन किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक कुछ ऐसे तत्व हैं जो इस रवैया का बेजा लाभ उठाते नजर आ रहे हैं? शहर से लेकर कस्बों तक एवं गांव के चौराहे पर जो स्थिति नजर आती है वह पूरी व्यवस्था को चिंता में डालने वाली है।

जनपद के हैदरगढ़ ,रामसनेही घाट, देवीगंज ,भिलवल, त्रिवेदीगंज, फतेहपुर, सुबेहा, दरियाबाद, रामनगर, मसौली, जैदपुर,देवा, जैसे ऐसे तमाम इलाके हैं जहां पर लॉक डाउन का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है? जिला प्रशासन के प्रचार-प्रसार वाहन दिनभर दौड़ते हैं। जनता को जागरूक करते हैं कि आप लोग भीड़ न लगाइए। एक साथ खड़े होकर बातें ना करिए ।अपने अपने घरों में रहिए। यह आपकी सुरक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।लेकिन जहां 90 फ़ीसदी जनता जिला प्रशासन के लॉक डाउन का भरपूर समर्थन करती है वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे अराजक तत्व हैं जो इस पूरी व्यवस्था को चुनौती देते नजर आते हैं?

अराजक तत्व दिनभर इधर-उधर घूमते हैं? जैसे इन्हें पुलिस का सायरन अथवा पुलिस दिखाई सुनाई देती है यह भाग कर इधर-उधर छुप जाते हैं? जब पुलिस गस्त करके निकल जाती है तो यह सब तो फिर से खड़े होकर प्रपंच करने में जुड़ जाते हैं? खास बात यह है कि इस दौरान पान मसाला व पान खाकर इधर-उधर थूकना तथा सिगरेट के छल्ले उड़ाना भी इनका रवैया है? इन्हें यदि कोई समझाता भी है तो यह कहते हैं अपनी चिंता करो हमको कोरोना नहीं होगा हम खुद ही कोरोना है?

इसके अलावा जनपद के कई इलाकों में दुकानों के खुलने एवं ग्राहकों को सामान मिलने की व्यवस्था में भी कुछ आपाधापी है? क्योंकि अभी मात्र कुछ घंटे ही लॉक डाउन को हुए हैं। जिला प्रशासन इस व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटा हुआ है। कई इलाकों में तो यह हालात नजर आते हैं कि दिन में तो लॉक डाउन सफल दिखता है लेकिन शाम होते ही भीड़ एकाएक सामान की खरीदारी करने के लिए बाहर निकल पड़ती है! फिर कुछ चौराहे लॉक डाउन की परिभाषा से बाहर हो जाते हैं! फिलहाल पुलिस ने कई अराजक तत्वों को दंडित भी किया है लेकिन अभी इससे काम चलने वाला नहीं है। कोरोना जैसी घातक बीमारी से आम जनजीवन की जान को बचाने के लिए उन अराजक तत्व पर कड़ा प्रहार करना होगा जो पूरी व्यवस्था को मटिया मेट करने में जुटे हुए हैं ।

इस संबंध में जब कुछ जागरूक लोगों से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि भैया यह सब लातों के भूत हैं जो बातों से नहीं मानते हैं? इन्हें जैसे को तैसा के तहत जब लगाम कसकर ठिकाने लगाया जाएगा तभी यह दुरुस्त होंगे! साफ है कि जिला प्रशासन को सारी व्यवस्थाओं के साथ-साथ अब इस दिशा में भी पूरी कड़ाई के साथ काम करना ही होगा? अन्यथा पूरे लॉक डाउन का बाराबंकी में मख़ौल उड़ता नजर आएगा । फिलहाल बाराबंकी इस मामले में अभी तक सौभाग्यशाली रहा है कि यहां कोई भी कोरोना का मरीज अभी तक नहीं मिला है।

Don`t copy text!