मिर्चा ना खा लेना? सियासी चौसर की महारानी हैं राजरानी!

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया

अनर्गल प्रचार व राजरानी को हल्के में लेना विपक्ष के लिए साबित हो सकता है घातक? फिर भी राजरानी की है अग्नि परीक्षा!

विरोधियों को जोर का झटका धीरे से देकर लक्ष्य हासिल करने में माहिर है भाजपा प्रत्याशी

बाराबंकी। भाजपा ने बाराबंकी में टिकट का ताज जब से जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती राजरानी रावत को दिया है। तब से कुछ लोग अनर्गल प्रचार करने में जुट गए हैं? लेकिन भाजपा के दिग्गजों को पछाड़कर टिकट हासिल करने वाली राजरानी राजनीतिक चौसर की माहिर खिलाड़ी ही नहीं बल्कि महारानी भी है! उन्हें हल्के में लेना स्वयं हल्के में रह जाना है?चर्चा हुई तो लोग बोल पड़े! उनको सलाह है! चने के फेर में मिर्चा ना खा लेना? परेशानी का सबब होगा?विरोधियों को समझना होगा कि उनकी दाल हवा में नहीं गलेगी। जबकि गौरतलब हो कि ये चुनाव भाजपा प्रत्याशी के लिए भी अग्नि परीक्षा है!

भाजपा ने बाराबंकी संसदीय क्षेत्र से जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती राजरानी रावत को अपना प्रत्याशी घोषित किया है ।जहां राजरानी के समर्थक इस सफलता से उत्साहित है। वहीं दूसरी ओर भाजपा के अन्य दरबारों में मायूसी का माहौल भी है ?लेकिन जैसे ही भाजपा का टिकट घोषित हुआ ।विपक्ष के कुछेक लोगों ने सोची समझी रणनीति के तहत अनर्गल प्रचारों की बौछार शुरू कर दी। जनचर्चाओं के मुताबिक विपक्ष के कई नेताओं ने राजरानी रावत को टिकट मिलने को लेकर ऐसे- ऐसे बेतुके दावे कर दिए कि वह बुद्धिमान व्यक्तियों के सिर से ऊपर निकल गए! कई विपक्षी यह कहते सुने गए कि जैसा विपक्ष चाहता था। भाजपा ने वही किया और राजरानी रावत को टिकट दे दिया!

कुछेक लोगों ने यह भी कहा कि राजरानी के व्यवहारिक संबंध फला नेता से बड़े अच्छे हैं। इसलिए अब गठबंधन प्रत्याशी का काम बन जाएगा?
लेकिन राजरानी रावत को जो लोग इतने हल्के में ले रहे हैं! उन्हें श्रीमती रावत के बारे में जानना भी चाहिए। श्रीमती राजरानी रावत भाजपा से पूर्व में विधायक रह चुकी है। वह इस समय जिला पंचायत अध्यक्ष भी है। जाहिर है कि राजनीतिक तोड़फोड़, राजनीतिक जुगाड़ करके लक्ष्य भेदन की राजनीति कैसे की जाती है। यह राजरानी अच्छे से जानती है। वर्तमान में जब भाजपा उपेंद्र रावत के तथाकथित वीडियो वायरल के प्रकरण में जूझ रही थी। इसी दौरान जिले में टिकट मांगने वालों की भीड़ बढ़ गई थी ।लेकिन राजरानी का राज कोई जान नहीं पाया! और फिर वे भाजपा का टिकट पाकर सियासी कूटनीतिक राजदारों की “महारानी” बनी नज़र आई।

भाजपाइयों ने भी श्रीमती राजरानी रावत को टिकट मिलने के बाद राहत की सांस ली है। क्योंकि अन्य कई नामों में से अगर किसी को टिकट मिलता! तो भाजपा को आपसी खींचतान से गुजरना पड़ता? लेकिन शालीन एवं हल्की सी मुस्कुराहट से बड़े से बड़े लक्ष्य को हल करने में माहिर राजरानी को जब टिकट मिला तो भाजपाइयों में उत्साह भर गया। रावत बिरादरी से आने वाली राजरानी रावत अंदर ही अंदर विपक्ष के नेताओं को जोर का झटका धीरे से दे गई! क्योंकि खबर है कि विपक्ष के कई नेता यही चाहते थे कि उपेंद्र रावत का टिकट रिपीट हो जाए? जिससे वह वीडियो के बारे में लंबी चौड़ी बातें करें और भाजपा को चुनाव में हरा दे! लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों ने सब किनारे लगा दिया। इसके बाद राजरानी रावत के विरुद्ध अनर्गल प्रचार की बौछार शुरू की गई ।इस दौरान आम जनता एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं से वार्ता की गई तो उनका कहना था कि भाजपा को वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा हिंदुत्व के नाम पर मिलता है। प्रत्याशी कोई हो! पूरा मामला कमल- निशान आलीशान पर जाकर टिक जाता है। भाजपाइयों ने कहा कि श्रीमती राजरानी रावत राजनीतिक चौसर की माहिर खिलाड़ी है। विपक्ष उन्हें हल्के में ले रहा है तो आखिर में वह हल्के में ही रह जाएगा! कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि मेरी उनको सलाह है कि चने के फेर में मिर्चा ना खा ले! अन्यथा वह परेशानी का सबब होगा? क्योंकि राजरानी अपने लक्ष्य भेदन को बहुत ही सतर्कता से अंजाम देती है। चर्चा यह भी है कि राजरानी को इस चुनाव में जमकर मेहनत करनी होगी। क्योंकि यह उनके लिए तो अग्नि परीक्षा है ही! अलबत्ता यह भाजपा की अस्मिता का भी प्रश्न है । तथाकथित वायरल वीडियो के बाद भाजपा लगभग एक पखवाड़े तक चुनावी सक्रियता से बाराबंकी में दूर रही? ऐसे में भाजपा ने चुनाव प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। अब प्रसाद रूपी जीत का चना कौन खाता है।तो हार का कड़वा मिर्चा किसके हिस्से में आता है!फिलहाल यह तो आने वाला समय ही बताएगा?

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