दबंग निकले सदर तहसीलदार अनुसूचित जाति के लोगों की पुश्तैनी जमीन की करा डाली ऑफिस से फाइल गायब।

शादाब अली की रिपोर्ट

उन्नाव। एक ओर योगी सरकार पूरी तन्मयता के साथ गरीबों और अनुसूचित जाति के लोगों के हितों में कार्य कर रही है लेकिन सदर तहसीलदार ओमप्रकाश शुक्ला,

 

वही तहसील सफीपुर में ट्रांसफर को लेकर खेला गया बड़ा खेल साफ-सुथरी छवि व तेजतर्रार तहसीलदार महिला को बना दिया गया बलि का बकरा वहीं लगातार सफीपुर के उप जिलाधिकारी पर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं लेकिन उनको बचाने में कई दिग्गज नेताओं का हाथ माना जा रहा है अब देखना यह होगा क्या ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी या नहीं

बसपा नेत्री प्रियंका दुबे व हिस्ट्रीशीटर शेखर दुबे ने अनुसूचित जाति के लोगों के साथ धोखाधड़ी करके और कार्यालय से पूरी की पूरी फाइल गायब कराकर पुश्तैनी जमीन हड़प करने का षड़यंत्र करके उसको अमली जामा पहना रहे हैं जिससे अनुसूचित जाति के लोग सरकार के विरूद्ध हो जाये और सरकार की छवि धूमिल की जा सके। तहसीलदार सदर द्वारा की गयी इस धोखाधड़ी और कार्यालय से फाइल गायब कराने के षड़यंत्र में बहुजन समाज पार्टी की जिला पंचायत सदस्य प्रियंका दुबे भी शामिल है और भारतीय जनता पार्टी की छवि धूमिल कर अनुसूचित जाति के लोगों को भाजपा से दूर करने के षड़यंत्र को बड़े सुनियोजित तरीके से अंजाम तक पहुंचा रही है।
विदित हो कि प्रियंका दुबे के पति शेखर दुबे थाना कोतवाली उन्नाव के हिस्ट्रीशीटर है जिनपर गैंगेस्टर की कार्यवाही भी पूर्व में हो चुकी है। अनुसूचित जाति के सुरेश चन्द्र ने अपनी स्वयं क्रय की हुई भूमि बीमारी के कारण अपर जिलाधिकारी (वित एवं राजस्व) उन्नाव से अनुमति प्राप्त कर सवर्ण जाति के क्रेता को विक्रय की थी। विक्रय पश्चात क्रेता का नाम भी सम्पूर्ण तहकीकात के बाद राजस्व अभिलेखो में एक वर्ष पूर्व ही दर्ज किया जा चुका था लेकिन तहसीलदार सदर ने षड़यन्त्र के तहत अपने साथियों के साथ मिलकर उक्त अनुसूचित जाति के सुरेश चन्द्र की सम्पूर्ण भूमि को हड़प करके योगी सरकार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से उक्त अनुमति की सम्पूर्ण पत्रावली को कार्यालय से गायब करवाकर बिना क्रेता और विक्रेता को कोई सम्मन या नोटिस भिजवाये 14 सितम्बर को गांवसभा से प्रार्थनापत्र मंगवाकर उसी दिन पूर्व नियोजित षड़यंत्र के तहत बिना प्रभावित होने वाले पक्षकारो को सुनवाई का अवसर दिये राजस्व अभिलेखो से नाम हटवाने का आदेश कर दिया और उसी दिन 14 सितम्बर को ही राजस्व अभिलेखो में संशोधन करा दिया। एक ही दिन में तहसील न्यायालय द्वारा की गयी इस युद्धस्तरीय कार्यवाही से जिम्मेदार संदेह के घेरे में हैं क्योंकि जहां एक ओर जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक राजस्व वादों का अम्बार लगा है वहीं दूसरी ओर इस मामले में तहसीलदार द्वारा व्यक्तिगत संज्ञान लेने का कारण क्या है?शादाब अली की रिपोर्ट

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