विश्व एड्स दिवस के पर लोगो को जागरूक बनाने के लिए साक्षरता शिविर का आयोजन

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी।

बाराबंकी जनपद न्यायाधीश श्रीमती नीरजा सिंह के निर्देशन में दिनांक-02.12.2019 को मुख्यालय स्तर पर ए0डी0आर0 भवन दीवानी न्यायालय में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाराबंकी द्वारा विश्व एड्स दिवस के अवसर पर लोगो को जागरूक बनाने के लिए साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया एवं संविधान की शपथ एवं संगोष्ठियों का आयोजन किया गया।

शिविर में सचिव नन्द कुमार, नोडल अधिकारी समरसता दिवस विपिन कुमार सिंह, पैनल अधिवक्ता कुरैशा खातून, संगीत पाठक, अमरेन्द्र पाठक, दिलीप कुमार, पुष्पेन्द्र कुमार, शरद उपाध्याय, लव त्रिपाठी, संतोष कुमार शर्मा, विजेन्द्र कुमार, शिव सिंह, अरविन्द कुमार, कुलदीप, सुनील कुमार, प्रदीप तिवारी, दिनेश चन्द्र शर्मा, कु0 रंजना, दौलता कुमारी, सर्वेश कुमार, अवनीश कुमार शुक्ला, नीशू, जेल विजिटर अधिवक्तागण, पैनल अधिवक्तागण, कार्यालय से लवकुश कनौजिया, सौरभ शुक्ला, मो0 सलमान, गंगाराम वर्मा, मोहित वर्मा, मोहित कुमार, प्रदीप कुमार, शिवराम, आशीष कुमार के अतिरिक्त अन्य जनसामान्य के लोग उपस्थित रहे।

सचिव नन्द कुमार द्वारा एड््स बीमारी एवं एड्स पीड़ितों के अधिकार विषय पर विस्तार से जानकारियां दी गई। उनके द्वारा बताया गया कि एड्स अपने आप में कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता जिससे कोई भी बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि वह आगे चलकर एड्स का रूप ले लेती है। एड्स की बीमारी को पहचानने में काफी समय लग जाता है और यह बीमारी 10 से 12 वर्षों के मध्य पूर्ण रूप से सामने आती है और तब यह लाइलाज बीमारी बन जाती है। एड्स रोग की रोकथाम के लिए लोगों सुरक्षित तरीकों को अपनाते हुए अपने नियमित कार्य करने चाहिए। स्वास्थ बिगड़ने पर अथवा सिर में अक्सर दर्द, सूखी खांसी, शरीर पर छोटे छोट दाने, नाखून के रंग में परिवर्तन, मांसपेशियों में दर्द आदि में नियमित रूप हो रहा हो तो एड्स की जाचं अवश्य करानी चाहिए। इस समय अकेले महाराष्ट्र में 13107 एड्स के रोगी मिले है। दूसरा स्थान आन्ध्रप्रदेश का है जैसी बहुत सी जानकारियां पराविधिक स्वयं सेवक, पैनल अधिक्तागण एवं जन सामान्य लोगों को दी गई। पैनल अधिवक्तागण एवं पराविधिक स्वयं सेवकों से भी अपील की गई कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जनसामान्य लोगों को इस जानलेवा बीमारी के विषय में जानकारियां दें। ए्ड्स पीडितों के प्रति सहानुभूति पूर्ण रवैया रखने की अपील की और एड्स पीड़ितों को समाज की मुख्य धारा में रखते हुए उनके अधिकारों के विषय में बताया। एड्स के विषय में लोगों के अंदर पर्याप्त भ्रान्तियां फैली है जिसके कारण वे एड्स को छुआछूत की बीमारी समझते हैं और एड्स पीड़ितो की उपेक्षा करने लगते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। आज समय आ गया है कि परिवार के बड़े लोग अपने बच्चों को एड्स के प्रति जागरूक करें।

पैनल अधिवक्ता कुरैशा खातून द्वारा बताया गया कि एड्स की बीमारी त्वरित नहीं होती है और इसकी पहचान 05 से 10 वर्ष तक का समय लग जाता है। एड्स पीड़ितों को 4 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। एड्स की बीमारी लाइलाज है किन्तु सुरक्षा को ध्यान में रखा जाये तो बीमारी से बचा जा सकता है। सुरक्षित यौन संबंध स्थापित करना, सदैव सिरिन्ज बदल कर सुई लगाना, गोदना टैटू न बनवाना, अपने जीवन साथी के साथ वफादार रहना, खून जांच कर चढ़वाना जैसी सुरक्षाओं के द्वारा एड्स की रोकथाम की जा सकती है।

समरसता दिवस के नोडल अधिकारी विपिन कुमार सिंह द्वारा एड्स के अन्य प्रमुख कारणो, पहचान एवं रोकथाम के लिए आवश्यक उपायों पर विस्तार से जानकारियां दी। उनके द्वारा बताया गया कि एड्स लाइलाज बीमारी जरूर है लेकिन अगर हम इसकी रोकथाम करना चाहते हैं तो इसके लिए जागरूकता होनी चाहिए। जागरूकता ही बचाव है। एड्स के लिए विश्व स्तर पर इलाज खोजे जा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई कारगर उपाय नहीं मिल पाया है। एड्स के बचाव के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयार किये जा रहे है लेकिन सामान्य लोगों तक जागरूकता नहीं पहुंचने के कारण यह रोग लगातार बढ़ रहा है। इसके उपरांत उनके द्वारा संगोष्ठी में उपस्थित सभी लोगों को संविधान की शपथ दिलाते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन सौरभ शुक्र्ला कार्यालय लिपिक द्वारा किया गया।

इस अवसर पर अन्य उपस्थित व्यक्तियों द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किये गये। विधिक साक्षरता कार्यक्रम में दिये गये विचारों से स्थानीय लोग लाभान्वित हुए और उनके द्वारा पुनः ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित करने की अपेक्षा की गई।

 

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी।

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