उच्च न्यायालय ने पत्रकार अनम इब्राहिम पर हुई जिला बदर कार्यवाही पर लगाई रोक

आरोपी आईपीएस इरशाद वली ने आपसी रंजिश निकालने के लिए किया था कोर्ट को गुमराह।

 

जबलपुर उच्च न्यायालय पीठ ने पत्रकार पर दर्ज़ जिलाबदर के मामले की सुनवाई करते हुए यह माना कि भोपाल पुलिस द्वारा जो अपराधों की सूची पत्रकार पर लादी गई है वो अपराध पत्रकार पर दर्ज़ ही नही है भोपाल डीआईजी इरशाद वली ने पत्रकार के निष्पक्ष समाचारों के कारण आपसी रंजिश के चलते झूठे मुकदमों की फेहरिस्त तैयार कर ज़िला प्रशासन को फर्जी सूची दी थी किसी और के उर्फ उर्फ नाम से दर्ज़ मुकदमे पत्रकार अनम इब्राहिम पर लाद कर पत्रकार पर जिला बदर की कार्यवाही करवाई गई थी। उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ ने यह माना है कि पुलिस द्वारा फर्जी सूची तैयार कर कोर्ट को गुमराह किया गया हैं एवं जांच में पाया गया कि कोई भी निम्न मुकदमे पत्रकार अनम इब्राहिम के ऊपर दर्ज़ नही थे । उच्च न्यायालय ने डीआईजी इरशाद व पूर्व सरकार में पदस्थ दस आला अफसरों को भी किया नोटिस जारी भोपाल DIG इरशाद वली द्वारा न्यायालय को गुमराह करने के लिए दूसरे के अपराधों की जो झूठी सूची पेश की गई थी न्यायालय ने जांच करवाने के बाद उसे नकारते हुए पत्रकार पर कायम अन्य झूठे मामलों में भी जमानत दे दी है, जमात-ए-तबलीग के नाम पर अवैध मेले के विरुध जब पत्रकार ने निष्पक्ष समाचार प्रकाशित किया तो वर्तमान डीआईजी इरशाद वली ने ख़बरों को लेकर खाली धमकाया ही नही बल्कि एक सप्ताह में 3 झूठे मुक़दमे भी दर्ज़ कर दिए इरशाद वली पर ना केवल पत्रकार को झूठा फसाने के मामले में भारतीय प्रेस परिषद ने प्रकरण दर्ज किया है बल्कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी आईपीएस इरशाद वली को अच्छी खासी फटकार लगाते हुए पेशी पर बुलाया है। यह कोई पहली बार नहीं है कि आईपीएस इरशाद वली ने आपसी रंजिश के चलते कोर्ट को गुमराह कर अपने पद का दुरुपयोग किया है बल्कि विधिविरुध जाकर पद का दुरुपयोग कर अपनी बचपन कि भी दुश्मनी आईपीएस बनने के बाद तक निकालने का आदि हैं । भागलपुर बिहार गुमठी टपरा न. 03 के आईपीएस इरशाद वली पर न्यायालय में लगभग 20 से अधिक मामले विचाराधीन है जहा समय समय पर आईपीएस को दंडित भी किया जा चुका है। कुछ इसी तरह आईपीएस इरशाद वली ने भोपाल डीआईजी के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए फर्जी सूची तैयार कर ना केवल कोर्ट को गुमराह किया बल्कि संविधान की एक बहुत मजबूत साख को भी चोट पहुचाई हैं। षड्यंत्र के तहत स्वतंत्र पत्रकारिकता पर अतिक्रमण करके, दरअसल मुझ पत्रकार द्वारा जमात-ए-तबलीग के नाम पर भरने वाले अवैध मेले के विरुध निष्पक्ष समाचार साझा कीया गया था जिसके बाद से स्थानीय कट्टरवादी नेताओ व पक्षपात करने वाले डीआईजी इरशाद वली के ससुरालपक्ष के करीबियों के इशारे पर संविधानिक शक्तियों का दुरुपयोग कर कट्टरवादी आईपीएस ने विधिविरुध राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार पर झूठे प्रकरण पंजीबद्ध कर लिए थे माननीय संपादक महोदय से निवेदन है में 17 वर्षो से जनहितैषी निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहा हूं। कृपया मुझे उच्च न्यायालय से राहत मिलने पर अपने समाचारों में मुझ पर गुजरी ज़्यादती व पीड़ा को स्थान दे।

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