दीन का दुशमन कभी हक पसन्द नहीं होता है: मौलाना तस्दीक

नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211

बाराबंकी। इस्लाम दहशतगर्द का हिमायती नही हो सकता है बल्कि इंसान दहशतगर्दी का हिमायती हो सकता है। दुनिया का सबसे पहला दहशतगर्द यजीद था। जिसने इंसानियत का खून किया है। यह बात कर्बला सिविल लाइन्स में शायरे अहलेबैत डा. रजा मौरान्वी की मा-बाप की ईसाले सवाब मजलिस को मौलाना तस्लीम जैदपुर ने खिताब करते हुए कहा। मौलाना ने आगे कहा कि यजीदियत के हिमायती दहशत गर्दी नहीं मिटा सकते सिर्फ हुसैन वाले ही दहशत गर्दी मिटा सकते हैं। मौलाना ने यह भी कहा कि जब जब चालाक मुनाफिक और जाहिल आवाम इकट्ठा होते हैं तब तब हुसैनियत का कत्ल होता है। क्यांेकि दीन का दुशमन कभी हक पसन्द नहीं होता है जब भी उसे कोई हुसैन नजर आता है उसे शहीद कर देता है। आखिर में करबला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी रोने लगे। मजलिस से पहले रिजवान उर्फी लखनवी ने पढ़ा-तमाम जुल्म शहे करबला से हार गये, फिर एक बार सनम मुर्तुजा से हार गये। सिना की नोक पा उसका कलाम जारी है, गले को काटने वाले सदा से हार गये। अली सरकार जाफरी ने पढ़ा-अजादाराने सर वर पर इनायत फातिमा की है, कोई मुश्किल नहीं मुश्किल हिफाजत फातिमा की है। इनायत लखनवी ने पढ़ा-तर्के वाजिब का गुनाह करने पर मगरूर है वो, इश्के हैदर में ये कहता है मगर चूर है वो। जिसपे तलवार चली आज भी बाकी है वही, काटने वाले को मालूम न था नूर है वो। मजलिस का आगाज तिलावते कलामे इलाही से मौलाना हिलाल अब्बास ने किया। निजामत के फरायेज अजमल किन्तूरी ने अंजाम दिये। बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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