अक़ीदतों के साथ निकला नौचंदी का अलम मोमनीन ने की ज़्यारत

नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211

मोमिन कभी गीबत नहीं करता , गीबत आजिज़ व नातवां इन्सान की कोशिश और मुनाफिक़ की अलामत है – मौलाना कुमैल अब्बास  यज़ीद कहते हैं अलक़ायदा के बानी को जहाँ पे खूँन खराबा मिजाज़ होता है – डा 0 रज़ा मौरान्वी

बाराबंकी। कामयाबी चाहते हो तो दूसरों में ऐब तलाशने के बजाय खुद के ऐब तलाश करो । गीबत करना जितना गुनाह है सुनना भी उतना ही गुनाह है । मोमिन कभी गीबत नहीं करता , गीबत आजिज़ व नातवां इन्सान की कोशिश और मुनाफिक़ की अलामत है ।यह बात मौलाना कुमैल अब्बास ने नौचंदी की मजलिस को खिताब करते हुए करबला सिविल लाइन में कही। उन्होने ये भी कहा कि परवर दिगार दीन के दुश्मनों से सोंचने , हक़ बोलने , हक़ सुनने व हक़ देखने की व हक़ समझने की सलाहियत छीन लेता है । जन्नती बनना चाहते हो तो वैसे बन जाओ जैसा अली (अ) व आले अली (अ) चाहते हैं। आखिर में करबला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी रोने लगे ।मजलिस से पहले डा 0रज़ा मौरान्वी ने पढ़ा-यज़ीद कहते हैं अलक़ायदा के बानी को , जहाँ पे खूँन खराबा मिजाज़ होता है ।किसी को बेवा किसी को यतीम कर देना , यज़ीयत के घरों का रिवाज़ होता है ।अजमल किन्तूरी ने पढ़ा – यही बहोत है तुम्हारी फज़ीलतों के लिए ,जनाबे फातिमा तुमको कहें पिसर अब्बास ।बाक़र नक़वी ने पढ़ा – ज़िक्रे शब्बीर ज़माने में जहां होता है ,  उस इलाक़े मे बहोत अम्नों अमां होता है। हाजी सरवर अली कर्बलाई ने पढ़ा – मुमकिन नहीं है शाह का गम हो सके रक़म , सरवर तखय्युलात की चादर समेट ले। इसके अलावा हैदर आब्दी व रज़ा मेहदी ने भी नज़रानए अक़ीदत पेश किया। मजलिस का आगाज़ तिलावते कलाम ए इलाही से जीशान नक़वी ने किया । अलम का गश्त करबला परिशर में किया गया। मक़ामी अन्जुमनों ने नौहाखानी व सीनाज़नी की।देश दुनियां में अम्नो अमान व करोना वबा से नजात की दुआएं की गई ।तमाम मर्हूमीन के लिए  मग्फेरत की दुआएं की गई।नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211

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