पीरों के पीर ग़ौस ए आज़म की याद में अक़ीदत से मनाया गया ग्यारहवीं त्यौहार
एसएम न्यूज़24टाइम्स जिला ब्यूरो के साथ नेवाज अंसारी की रिपोर्ट 7268941211
देवा बाराबंकी। बुधवार को पीर ग़ौस ए आज़म की याद में बहुत ही अक़ीदत मन से ग्यारहवीं शरीफ का त्योहार मनाया गया।अस्ताना रोड पर हर तरफ मिठाइयों की दुकानों पर लोगों की भीड़ देखने को मिली। इस त्योहार में लोग मिठाई खरीदकर अपने-अपने घरों में ले जाकर बड़े पीर के नाम से नियाज़ दिलाते हैं। यह त्योहार पीरों के पीरशेख़ सैय्यद अबू मुहम्मद अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखता है। जिन्हें गौस ए आज़म के नाम से जाना जाता है। पीर ग़ौस ए आज़म की पैदाइश रमज़ान शरीफ में हुई थी। जन्म के समय ही आप सेहरी से इफ्तार तक मां का दूध नही पीते थे। जिस तरह रोज़ेदार रोज़ा रखता है उसी तरह आप मां का दूध केवल सेहरी व इफ्तार के वक़्त पीते थे। वह जब 10 वर्ष के हुए और मदरसा में पढ़ाई करने जाया करते थे तो फरिश्ते आते और आप के लिए मदरसा में बैठने की जगह बनाते थे। ग़ौस ए आज़म बहुत ही परहेज़गार, इबादत गुज़ार,पाकीज़ा पाक व अल्लाह वालों के इमाम हैं। आप के हुक्म पर आम इंसान नही बल्कि सभी वली भी अमल करते हैं। अल्लाह ने ग़ौस ए आज़म को वह बुलंद मुक़ाम अता फरमाया है कि वह अपनी नज़र ए वलायत से सब कुछ देख लेते हैं जहां तक किसी आम इंसान की नज़र अक़्ल व सोच भी नही जाती। यह है पीरों के पीर ग़ौस ए आज़म रहमतुल्लाह अलैह की शान।
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