आंखोदेखी : कार्तिक पूर्णिमा पर मेला में रही भारी अव्यवस्थाएं
रिपोर्ट शमीम अंसारी: एसएम न्यूज24टाइम्स 9415526500
बाराबंकी। विगत 19 नवम्बर को सम्पन्न हुआ श्रीकोटवाधाम कार्तिक पूर्णिमा का मेला अव्यवस्थाओं से लबरेज रहा। मुश्तैद पुलिस प्रशासन बावजूद मेला प्रबंधन के शिथिल कार्यशैली का सबब यह हुआ कि स्थानीय लोगों के साथ ही यहाँ आने वाले दुकानदार, श्रद्धालुओं एवं परिक्रमार्थियों को भारी दुश्वारियां झेलनी पड़ी। ट्रैक्टर ट्रालियों, कार व अन्य वाहन स्वामियों से धनउगाही चरम पर रही। जानकारी के मुताबिक सत्यनाम सम्प्रदाय के संस्थापक एवं संत शिरोमणि समर्थ स्वामी जगजीवनदास साहेब की तपोस्थली श्रीकोटवाधाम में सैकड़ो वर्ष से अनवरत अनेक भव्य वार्षिक, मासिक एवं साप्ताहिक मेला का आयोजन होता आ रहा है। वैश्विक महामारी कोरोनाकाल में मेला प्रतिबंधित रहा। वार्षिक मेला में सुदूर अंचल से लाखों श्रद्धालु यहां शिरकत करते हैं। विगत कुछ वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा का यह मेला जिम्मेदारों द्वारा कुशल व्यवस्था अभाव में संक्षिप्त होता जा रहा है।
स्नानागार, शौचालय, शुद्ध पेयजल का अभाव
श्रीकोटवाधाम मे कार्तिक पूर्णिमा मेला में स्नानागार, शौचालय व शुद्ध पेयजल के तलाश में यहाँ आने वाले श्रद्धालु भक्त दर-दर भटकते दिखे। मेला प्रबंधन द्वारा कोटवाधाम में न ही कोई अस्थाई शौचालय का निर्माण कराया गया था, और न ही चौराहा समीप स्थित शौचालय का ताला ही खोला गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एक ओर जहां खुले में शौच न करने के संदेश दिये जा रहे, परिवारों को शौचालय, इज्जत घर उपलब्ध कराया जा रहा, वहीं यहां महिलायें, पुरुषों के लिए खुले में शौच के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं था। शुद्ध पेयजल हेतु एक भी पानी के टैंकर की व्यवस्था नहीं की गई थी, और न ही पानी की टंकी का पानी उपयोग में आया। अघहरण के पवित्र जल को तमाम श्रद्धालु मष्तिष्क पर छिड़ककर श्रद्धापूर्वक पूजन अर्चन करते हैं। स्नानागार के अभाव में श्रद्धालु भक्त महिलाएं स्थानीय लोगों के घरों में शरणार्थियों की भांति स्नान करने को विवश दिखी। तो वहीं तमाम पुरूष श्रद्धालु सार्वजनिक स्थल पर निजी नलो से नहाते देखे गये।
खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को विवश श्रद्धालु
यहाँ आने वाले भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को विवश दिखे। अस्थाई रैन बसेरा न होने से लोग पेड़ के नीचे व स्थानीय निवासियों के यहां स्थान तलाशते रहे। बारात घर में ताला लटकता देखा गया। टीनशेड में भारी गंदगी से लोग कतराते रहे। अलाव जलाने हेतु कहीं से लकड़ियां तक नहीं उपलब्ध करायी जा सकी। श्रद्धालु पेड़ों के नीचे रात भर ठिठुरते रहे।
खूब हुई वाहन स्वामियों से अवैध वसूली
अवैध वसूली गिरोह द्वारा पास-पड़ोस करीब एक किलोमीटर परिधि क्षेत्र में खड़े ट्रैक्टर ट्रालियों, बस व अन्य वाहनो से भी खूब धनउगाही की गई। कार्तिक पूर्णिमा मेला में श्रीकोटवाधाम आये एक श्रद्धालु के ट्रैक्टर से बैट्री चोरी हो गई, जबकी उस वाहन स्वामी से वाहन खड़ा करने का पैसा भी वसूला गया था। अनेक श्रद्धालुओं का कहना था कि जितनी अव्यवस्था यहाँ है उतना शायद कहीं नहीं। सरकार के नियंत्रण में जितने भी मेला संचालित होते हैं, उनमे सुविधाएं बेहतर होती हैं। चाहे महादेवा का मेला हो या फिर देवाशरीफ का। मेला प्रबंधन के संरक्षण की जनचर्चाएं उफान पर हैं।
गंदगी से गुजरते परिक्रमार्थी
कोसों दूर से कोटवाधाम मंदिर तक परिक्रमा कर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं किया जाता। यहाँ कोई परिक्रमा मार्ग न होने से किसी न किसी हादसे का खतरा बना रहता है। मुख्य मार्गा से लेकर मंदिर तक के रास्तों व मेला परिसर के गलियारों में साफ-सफाई न होने से परिक्रमार्थियों को भारी गंदगी से गुजरना पड़ता है।
तराई अंचल के लोगों का मार्ग अवरूद्ध
कोटवाधाम में जन्म सप्तमी एवं कार्तिक पूर्णिमा मेला दरम्यान कोटवाधाम से सनावा मार्ग से जुड़े दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीणों का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है। इस मार्ग से नियमित गुजरने वाले लोग मेला दिनों में कई कई कोस घूमकर लम्बी दूरी तय करते हुए वाहनों से अपने मंजिल पर पंहुचते हैं। गंतव्य तक पहुंचने मे भी वही कष्ट झेलना पड़ता है। स्थानीय निवासियों को भी तमाम परेशानियों से गुजरना पड़ता है। स्वयं के वाहन मुख्य मार्ग से आवास तक लाने पर प्रतिबंध रहता है। मेला प्रबंधन को इस बात की जरा सी भी फिक्र नहीं होती।
भारी भरकम किराया, मायूस दुकानदार
मेला में स्थानीय व बाहर से आने वाले दुकानदार इस बार काफी वेदनाग्रस्त दिखे। मेला प्रबंधन द्वारा लिया जाने वाला भारी भरकम किराया से अपेक्षा अनुरूप मेला न होने पर दुकानदार मायूस थे। एक लाई विक्रेता का कहना था कि छोटी सी दुकान लगाने के एवज में यहां के मेला प्रशासन द्वारा तीन हजार रूपया किराया वसूला गया। पूरे मेला में करीब एक हजार रूपया बचत आया है। किराया का दो हजार रूपया अपने पास से देना पड़ रहा है।
रिपोर्ट शमीम अंसारी: एसएम न्यूज24टाइम्स 9415526500