अपने बच्चों को विलायत से आसना कराएं ताकि हक़ से आगाह हो जाएं और गुमरही का शिकार होने से बच जाएं – मौलाना सै0 मो0 मियां आब्दी “कुम” ईरान

एसएम न्यूज़24टाइम्स के जिला ब्यूरो के साथ मसौली संवाददाता अवधेश वर्मा शांती वर्मा की रिपोर्ट मोबाइल नंबर 8707331705

अपने वक़्त के इमाम को पहचानो उन्हीं के ज़रिये अपनी मंज़िल की राह जानो इंसान की क़ीमत उसकी पसंद से मालूम हो जाती है जो अपने वक़्त के इमाम को छोड़कर दूसरों की राह अपनाते हैं गुमरही का शिकार हो जाते है अपने को जब पहचानोगे तब कद्र ओ क़ीमत जानोगे हरकत का नाम ज़िन्दगी है ज़रूरत सही सिम्त की जानकारी हैउसके लिए जिन्दगी देने वाले का राबेता ज़रूरी है

मसौली बाराबंकी ।एसएम न्यूज़24टाइम्स परवरदिगार जब अता करने पर आता है तो अपने जूदो करम को भी बन्दे का अमल बताता है।इसीलिए रोज़े की हालत में बन्दे के सोने को इबादत और सांस लेने को तस्बीह का अमल बताता है।परवरदिगार तादाद नहीं कैफ़ियत देखकर अता करता है। वो खुशनसीब हैं जिनका सरमाया विलायत है । बन्दा रजब व शाबान में जो नेकी ज़खीरा करता है परवरदिगार उसे रमज़ान में कई गुना कर देता है। यह बात मौलाना गुलाम अस्करी हाल मे मजलिस ए बरसी बराये ईसाल ए सवाब मरहूम अकबर मेहदी इब्ने ज़फर मेहदी को ख़िताब करते हुए “क़ुम” ईरान से आए हुए आली जनाब मौलाना सैयद मोहम्मद मियां आब्दीने कही ।मौलाना ने यह भी कहा कि हरकत का नाम ज़िन्दगी है , ज़रूरत सही सिम्त की जानकारी है , उसके लिए जिन्दगी देने वाले का राबेता ज़रूरी है ।अपने आप को जब पहचानोगे तब कद्र ओ क़ीमत जानोगे । अपने बच्चों को विलायत से आसना कराएं ताकि हक़ से आगाह हो जाएं और गुमरही का शिकार होने से बच जाएं ।अपने वक़्त के इमाम को पहचानो उन्हीं के ज़रिये अपनी मंज़िल की राह जानो । इंसान की क़ीमत उसकी पसंद से मालूम हो जाती है । जो अपने वक़्त के इमाम को छोड़कर दूसरों की राह अपनाते हैं गुमरही का शिकार हो जाते है । पहले खुद साबिर बनो फिर दूसरों को सब्र की दावत दो । हक़ की राह में दुश्वारियां मुमकिन है । इंसान को चाहिए यह याद रखे कहा से आया है कहां जाना है तभी खयाल आयेगा कैसे जाना है।गलत रास्ता नहीं अपनाना है ।जिसने ज़िन्दगी दी है उसी के बताये रास्ते पर क़दम बढ़ाना है ।आखिर में करबला वालों के दर्दनाक मसायब पेश किए जिसे सुनकर मोमनीन फफक फफक कर रोने लगे । मजलिस से पहले डॉक्टर रज़ा मौरानवी ने पढा – दुआएं कैसे भला मुस्तजाब हो जाएं ,वो जिनको आले मोहम्मद का वास्ता न मिला ।डाक्टर मुहिब रिज़वी ने पढ़ा – अली के बुग़्ज़ की मिट्टी पे बैठने वाले , तुझे पता है सितारा कहां उतारा गया ।अजमल किन्तूरी ने पढा – गला कटा के ये तस्वीर कर रहे है हुसैन, कज़ा थी तल्ख़ उसे शीर कर रहे हैं हुसैन। आरिज़ जरगांवी ने पढा – कभी क़ुरआं तो कभी सब्र की तफ़सीर में देख,मर्दे अकबर की रज़ा मरज़िये शब्बीर में देख ।हाजी सरवर अली करबलाई ने पढ़ा – शमशीर बोली मौक़ा है कर लो सही अमल , क्या होगा जो मैं आखरी रहबर से मिल गई । सरवर को तो तमीज़ न थी शेर ओ वज़्न की , इज़्ज़त सुखनवरी की इसी दर से मिल गई । मिनहाल ने पढा- घर से हम निकलते हैं चूम कर अजाख़ाना ,इस लिए सफर में है हम सफर अज़ाख़ाना । नजफ़ी ने भी दर्द भरा कलाम पेश किया-क्या खुशी शादी हो जिसका मर जाता है बाप।मजलिस का आग़ाज तिलावत ए कलाम ए पाक से नजफी ने किया।बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

एसएम न्यूज़24टाइम्स के जिला ब्यूरो के साथ मसौली संवाददाता अवधेश वर्मा शांती वर्मा की रिपोर्ट मोबाइल नंबर 8707331705

 

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