गीता के विषाद योग में समाहित है ईश्वर भक्ति: सारंग साहित्यिक परिचर्चा ‘घर-घर गीता‘ का दिया संदेश

सुहेल अंसारी संवाददाता नगर बाराबंकी एसएम न्यूज़24टाइम्स 8081991270

बाराबंकी। गीता जयन्ती एवं मोक्षदा एकादशी के पुनीत अवसर पर साहित्य समीक्षा परिषद एवं आँखें फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में अभयनगर स्थित डॉ बृज किशोर पाण्डेय के आवास पर विचार साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता गायत्री परिवार से जुड़े कवि विष्णु कुमार शर्मा ने तथा दीप जलाकर शुभारम्भ सामाजिक चिन्तक विश्राम लाल यादव ने किया। डॉ. बृज किशोर पाण्डेय ने गीता को सर्वसमाधन एवं प्रबंधन का सर्वाेचित ज्ञान ग्रन्थ बताते हुए ‘घर-घर गीता‘ का संदेश दिया तो रामानंद लाल श्रीवास्तव ने गीता तत्वों की समीक्षा पर स्वलिखित आलेख पढ़ते हुए भारतीय दर्शन के दो प्रमुख तत्वों कर्म और योग की विशद एवं अर्थपूर्ण मीमांसा प्रस्तुत की। साहित्यकार प्रदीप सारंग ने कहा कि गीता के प्रथम अध्याय में विषाद योग का वर्णन है, जिसमें संदेश है कि कैसे मनुष्य अपने जीवन के विषाद काल में कैसे इस विषाद के माध्यम से ईश्वर भक्ति अथवा इच्छित अप्राप्त को प्राप्त कर सकता है। समीक्षक डॉ ओंकार नाथ शुक्ला ने अपने संबोधन में गीता-तत्वों की विशद व्याख्या सोदाहरण प्रस्तुत की तो प्रदीप श्रीवास्तव ने अनेक श्लोकों पर अपनी व्याख्या एवं टिप्पणी रखी। योगाचार्य अखिलेश पाण्डेय ने योग और कर्मयोग पर वार्ता रखी तो के. के.सिंह ने गीता को आधुनिक संदर्भाे का व्यावहारिक ग्रंथ कहते हुए धर्म के बदलते स्वरूप पर भी चर्चा की। एडवोकेट बलराम सिंह, विष्णु कुमार शर्मा, कथावाचक पो.अरविंद मिश्र, डॉ. वंदना मिश्रा ने काव्यपाठ किया। डॉ. हरिनारायण पाण्डेय के संचालन व डॉ. बृजकिशोर पाण्डेय के संयोजन में सम्पन्न साहित्यिक परिचर्चा में रितेश कुमार शुक्ला, शिवाकांत त्रिपाठी, अजय कुमार मिश्र, सूर्यनारायण शुक्ला, महेश कुमार पाठक, रमेश चंद्र रावत, नीरज मिश्र ने भी विचार व्यक्त किये।सुहेल अंसारी संवाददाता नगर बाराबंकी एसएम न्यूज़24टाइम्स 8081991270

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