डा. लोहिया की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था: राजनाथ शर्मा गंाधी भवन में जयन्ती पर याद किए गए डा. राममनोहर लोहिया

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

बाराबंकी। 23 मार्च समाजवादी आन्दोलन का महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन समाजवादी पुरोधा डा राममनोहर लोहिया का जन्म हुआ था। उनके जन्म के ठीक 13 वर्ष बाद देश के तीन स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को ब्रितानिया हुकूमत ने फांसी दी थी। इस घटना से दुखी डा. लोहिया ने ताउम्र अपना जन्मदिन नहीं मनाया। जो तारीख आज भी इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। यह बात गांधी भवन में डा राममनोहर लोहिया की जयन्ती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कही। श्री शर्मा ने कहा कि डा लोहिया वैचारिक सिद्धान्तों को मानने वाले व्यक्ति थे। करीब 7 वर्षों तक मुझे उनका सानिध्य प्राप्त हुआ। मेरे नेतृत्व में 1963 में जब डा लोहिया संसद सदस्य निर्वाचित हुए तब जिला छात्र संघ ने उनका टाउन हाल में नागरिक अभिनंदन किया। इसके बाद से मेरे डा. लोहिया से आत्मीय रिश्ते हो गए। श्री शर्मा ने बताया कि डा0 लोहिया की बाराबंकी में अन्तिम यात्रा 1967 के विधानसभा चुनाव के दौरान हुई। इसके बाद वह चुनाव परिणाम की समीक्षा करने लखनऊ आए। इन दोनों अवसरों पर डा लोहिया के साथ मेरा काफी समय बीता। डा लोहिया की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था। वह उन गरीब, मजलूम और शोषितों की आवाज थे जिनका कोई मसीहा नहीं था। लोकसभा पहुंचने पर उन्होंने आम आदमी और प्रधानमंत्री के जीवन यापन पर होने वाले खर्च का जो व्यौरा दिया। उससे तत्कालीन सरकार के होश उड़ गए। डा लोहिया ने जाति तोड़ो, दाम बांधो, अंग्रेजी हटाओ, भारत पाक महासंघ बनाओ, नारी पुरूष समानता लाओ, नदियों की सफाई की जो क्रान्तियों भारत को दी उससे आज भी भारत सरकार कोसो दूर है। इस मौके पर प्रमुख रूप से वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन, विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, सत्यवान वर्मा, संजय सिंह, पाटेश्वरी प्रसाद, मनीष सिंह, राहुल यादव, रंजय शर्मा, उदय प्रताप सिंह, ज्ञान शंकर तिवारी सहित कई लोगों ने डा लोहिया को श्रद्धांजलि दी।

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

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