दुर्गा पूजा महोत्सव में बीती रात्रि सेवानिवृत्त शिक्षक ओमप्रकाश वर्मा की अध्यक्षता एव कवि डा0 आलोक शुक्ला के संचालन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
अवधेश कुमार वर्मा संवाददाता एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी
मसौली बाराबंकी। क़स्बा बांसा शरीफ में चल रहे दुर्गा पूजा महोत्सव में बीती रात्रि सेवानिवृत्त शिक्षक ओमप्रकाश वर्मा की अध्यक्षता एव कवि डा0 आलोक शुक्ला के संचालन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें दूर-दराज से कवियों ने पूरी रात श्रोताओं को हास्य एव वीर रस विभोर रखा। कवि सम्मेलन की शुरुआत से पहले अतिथियों एव कवियों ने माँ दुर्गा की आरती करते हुए कवियों का माला पहनाकर स्वागत किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत करते हुए कवि जमुना प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि – जहा पर धर्म होता है वही पर धाम होते है जो मरते दुसरो पर है उन्ही का नाम होता है।
डा0 आलोक ने कहा कि प्रेम से यह झलकते नैन लाये है हम तेरे वास्ते अपना मन लाये है। स्थानीय कवि मनीष सोनी ने कहा कि चमन के फूल है हम सब अमन की बात करते है नही हम देश के दुश्मन का कोई साथ करते है। इसके आलावा कवि प्रताप बाराबंकी, अकरम सैदनपुरी, कपिल देव तिवारी, आकक्षा गुप्ता, अवधराम गुरु, अमरजीत यादव ने अपनी अपनी रचनाए पढ़ी। इसी क्रम मे दुर्गा पूजा महोत्सव मसौली कटरा भवानी नीम चबूतरा पर कमेंटी के द्वारा अखिलेश की अध्यक्षता में आयोजित हुए कवि सम्मेलन में श्रेष्ठ कवियों ने अपना अपना काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन के प्रारंभ में कुमार पुष्पेंद्र ने अपनी सरस्वती वंदना पढ़ी “एक में वीणा विराजे दूसरे कर ग्रंथ साजे, कर रहा श्वेतांबर पद्मासन की वंदना मैं।
रामनगर से पधारे हास्य कवि नागेंद्र सिंह ने कविता पढ़ी “हर सीसी पर संदेश छपा जो पियौ खुदै जानौ बूझौ, हम कब तक सबका समझौबै, मरना है जाव मरौ जुझौ। अमावा से पधारे हास्य कवि संदीप अनुरागी ने हास्य व्यंग्य पढ़ा “इतना ज्यादा चोटान छोटे सब खाना पानी भूला है, भोरहे शीशा मा मुंह देखिन तौ बहुत जोर से फूला है।” गीतकार और मंच संचालक संजय सांवरा ने पढ़ा मोम था या कि फौलाद क्या देखते, तेरे दीदार के बाद क्या देखते। रात पूनम की थी यह तो सच है मगर, आपके सामने चांद क्या देखते। सुमधुर कंठ के धनी गीतकार नीरज निर्मोही ने कुछ यूं कहा कि “मां के मुखड़े के मानिंद सुंदर कोई भी चंद तारा नहीं है, मां वो ममता की मंदाकिनी है जिससे अमृत की धारा बही है। ओज के युवा कवि सूर्यांशु शर्मा ने नई पीढ़ी को संबोधित करते हुए कविता पढ़ी “आधुनिकता के वरण की बात बस यही सौगात होगी, आज की यह नई पीढ़ी व्यर्थ ही बर्बाद होगी।” ओज के कुशल कवि रवि अवस्थी रुद्रांश ने विसंगतियों पर कविता पढ़ी “टूटन की हद बढ़ी यहां तक शुक्ला और तिवारी हो गए।” गीतकार सुभाष चंद्र तिवारी ने पढ़ा “प्रश्न बड़ा टेढ़ा है देश कौन सींचे।” राम लक्ष्मण और सीता के वन संघर्ष का गीत पढ़ा ” कहि न सकै जेहि बानी, निराली राम की कहानी।”इस मौके अध्यक्ष रतन प्रकाश, विन्ध्येश्वरी वर्मा राहुल वर्मा शानू यादव देवी शंकर सोनी अमित कुमार पटेल विद्याप्रसाद आदि अवधेश कुमार वर्मा संवाददाता एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी