अमा भाई बताओं आप !! प्याज खाना, सिलेंडर जलाना, मोबाइल कॉल करना जरूरी है क्या….???????????

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

महंगाई की मार त्रस्त है मध्यमवर्गीय व गरीब परिवार!

दिमाग व्यस्त करके पेट की आग पर डाला जा रहा है पानी!जनता की कसौटी पर नेता जी हुए फेल!
मंहगाई के मुद्दे पर विपक्ष में दम नहीं, मोदी सरकार भी कम नहीं?

महंगाई की मार से गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार त्रस्त है । दिमाग को व्यस्त करके पेट की आग में पानी डाला जा रहा है! जनता की कसौटी पर नेताजी फेल है! जी हां विपक्ष में इस समस्या से लड़ने का दम नजर नहीं आता तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार भी महंगाई को अंकुश लगाने में विफल है? वह भी पूर्व की यूपीए सरकार से इस मामले में कम नजर नहीं आती! ऐसे में चर्चा है कि क्यों ना प्याज खाना छोड़ दिया जाए, मोबाइल कॉल करनी बंद कर दी जाए और घरों में सिलेंडर जलाना भी बंद कर दिया जाए!! महंगाई का मुद्दा ही खत्म हो जाएगा?

महंगा प्याज रुला रहा है। मोबाइल कॉल भी महंगी होने को है। कई खाद्य पदार्थों के दाम भी बढ़ चुके हैं। रसोई का बजट बिगड़ गया है! आम जनता महंगाई से परेशान है। फिर भी विपक्ष महंगाई के विरुद्ध बड़ा जनाआंदोलन करने में विफल है। जबकि सरकार का दावा है कि जल्द ही इस पर काबू पा लिया जाएगा?याद करिए देश की यूपीए सरकार का कार्यकाल। उस समय जब महंगाई बढ़ती थी। खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छूते थे तब भाजपा के कर्णधार इसका विरोध सड़क से लेकर संसद तक जोर शोर से करते थे। आज भाजपा की केंद्र में मोदी सरकार अपना काम कर रही है। यदि हम चर्चा करें महंगाई की तो इस सरकार में महंगाई ऊपर नीचे भले ही हुई हो लेकिन महंगाई ऊपर होकर आम जनता पर खूब वार करती नजर आई है!

ताजा मामला प्याज का है। आज प्याज आम जनता को खूब रुला रहा है। प्याज की हालत यह है कि प्याज ₹80 से लगाकर देश के कई हिस्सों में ₹130 किलो तक बिक रहा है! यदि बीते कुछ समय की हम बात करें तो प्याज महंगाई पर सवार होकर इतराता ही नजर आया है! जनता महंगा प्याज चिल्लाती रही लेकिन देश की मोदी सरकार के रहनुमाओं पर इसका बहुत असर नहीं पड़ा? आज उसी का नतीजा है कि प्याज की कीमतें आसमान छू रही है। शहरों को छोड़िए ग्रामीण स्तर तक भी प्याज महंगाई का मुकुट लगाकर मोदी राज की लोकप्रियता को कम कर रहा है।

प्याज की अंधाधुंध कीमतों पर जब कुनबों में बिखरा हुआ विपक्ष हमलावर हुआ तो केंद्र सरकार गहरी नींद से जागी ।खबर है कि केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने प्याज की पैदावार करने वाले प्रदेशों के कैबिनेट सचिवो के साथ वार्ता की है। दिसंबर के दूसरे हफ्ते में मिस्र से प्याज मंगाए जाने की व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

सवाल यह है कि आखिर प्याज की एकाएक कमी क्यों आ गई? सूत्रों का दावा है कि लगभग 32000 टन प्याज सड़ गई? विपक्ष के नेता संजय सिंह दावा करते हैं कि मंत्री रामविलास पासवान ने उन्हें यह खबर दी है! प्रश्न है कि आखिर इतनी बड़ी तादाद में प्याज कैसे सड़ी? उसके उचित रखरखाव का प्रयास क्यों नहीं किया गया? प्याज सड़ी अथवा इस मुद्दे पर कोई घोटाला हुआ यह भी जांच का विषय है। फिलहाल लोगों की निगाहें अब मिस्र से आने वाले प्याज की ओर लगी है। खबर है कि वहां से आने वाला प्याज ₹50 से नीचे तो बिल्कुल नहीं बिकेगा।

प्याज तो महंगा होकर लोगों को रुला ही रहा है अलबत्ता अब तो विभिन्न मोबाइल नेटवर्किंग कंपनियां भी अपनी कॉल को महंगी करने जा रही हैं। कुछ महंगी कर चुकी है। कुछ धीरे-धीरे आगे कॉल को महंगा करेंगी। याद करें वर्ष 2003 में कॉल सुनने का जो पैसा लगता था वह बंद हुआ था। हालात यह नजर आ रहे हैं कि मोबाइल कंपनियां अपना घाटा पूरा करने के लिए यह उपभोक्ताओं से फिर से कॉल सुनने का पैसा लेना प्रारंभ कर दें? कंपनियों का खेल देखिए कि 42 फ़ीसदी तक कॉल दर को महंगा करने का दावा कंपनियों द्वारा किया गया है !अब सरकार को यह दिखाई देता है कि नहीं यह तो मोदी सरकार जाने? लेकिन एकाएक 42 फ़ीसदी बढ़ाना यह न्याय संगत तो नहीं कहा जा सकता।

इसी श्रंखला में गैस सिलेंडर भी महंगा हुआ है। एक जमाना था जब महंगी गैस सिलेंडर को लेकर भाजपा के बड़े नेता दिल्ली की सड़कों पर बैठा करते थे आज उन्हें इसकी सुध नहीं है ।डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने से केंद्र की वित्त मंत्री ने मना कर दिया है। क्योंकि इससे डीजल और पेट्रोल सस्ता हो सकता है। यहां बरबस कांग्रेस सरकार की याद आती है। जब डीजल व पेट्रोल के महंगे होने पर उस समय विपक्ष में शामिल भाजपा के कई नेता बैलगाड़ी से, साइकिल से संसद भवन पहुंचते थे? इसके अलावा इलायची, सेंधा नमक जैसे ऐसे कई मसाले भी हैं जिन पर मंहगाई मार है।

देश में दिमाग को व्यस्त करके पेट की भूख को भुला देने की सरकारी कोशिशें चल रही है! महंगाई ने धीरे-धीरे सुरसा की तरह अपना मुंह बढ़ाया है। आज घर के रसोई घरों का बजट गड़बड़ा गया है। आम आदमी अथवा मध्यमवर्गीय व्यक्ति किसी तरह से जीवन बसर कर रहा है। दुर्भाग्य यह है कि महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष के नेता कोई भी बड़ा जन आंदोलन खड़ा नहीं कर पा रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार के प्रयास महंगाई को कम करने में है अथवा केवल इस पर नाटक बाजी करने को है यह तो वही जाने? इस सब से अलग इसमें अगर कोई पिस रहा है तो वह है देश का आम नागरिक।

लापरवाही तो प्याज के मामले में भी नजर आती है। जब प्याज काफी दिनों से महंगाई के रथ पर सवार था तो केंद्र सरकार को इस पर काबू पाने के लिए काफी पहले प्रयास करने चाहिए थे। जो आज कर रही है!

महंगाई का स्वरूप स्कूल कॉलेजों की फीस में, रेलवे के टिकट में, वाहनों के चालान में, रोडवेज वाहनों के किराए में, ऐतिहासिक धरोहर को देखने में, होटलों में जीएसटी के लगने में आप कहीं भी देखें तो नजर आ ही जाएगा! देश के नेता महंगाई पर बड़ी-बड़ी बातें करेंगे और उसके बाद में फिर अपनी किसी दूसरी राजनीत में व्यस्त हो जाएंगे। कुल मिलाकर देश में महंगाई बढ़ी है! मोदी राज सब कुछ जानते हुए भी संभवत इससे अनदेखी बनाएं हैं। देश के खुदरा व्यापारियो में भी नेटवर्किंग व्यापार को लेकर आक्रोश है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है…….. स्पष्ट है कि यदि महंगाई तथा अन्य कई प्रमुख मुद्दों पर मोदी सरकार ने गंभीरता से ध्यान ना दिया तो उसके लिए आने वाला पथ काफी कष्टमय साबित हो सकता है? फिलहाल बेचारी जनता बेहाल,मंहगाई मालामाल??????

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