आरक्षण की सुविधा दलित मुस्लिम और ईसाई के लोगो को भी मिले: वसीम राईन सट्टी बाजार कार्यालय में बैठक के दौरान पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष ने कही बात

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

बाराबंकी। आरक्षण पर खुली बहस पर हम भी चाहते हैं जब हिन्दू, सिख और बौद्ध धर्म मानने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का स्टेटस और सुविधाएं मिलती हैं तो इस्लाम और ईसाई धर्म मानने वाले दलितों को क्यों नहीं। उक्त विचार ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने महाज के सट्टी बाजार स्थित कार्यालय पर महाज के लोगो को संबोधित करते हुए व्यक्त की। श्री राईन ने कहा कि ऐतिहासिक तौर पर राष्ट्रपति अध्यादेश, 1950 (क्लॉज 3) के तहत गैर-हिन्दू दलितों को एससी आरक्षण से बाहर कर दिया गया था. मुख्य तर्क था कि जब गैर-हिन्दू धर्म जाति व्यवस्था को सैद्धांतिक तौर पर ठुकराते हैं तो फिर उनके मानने वालों को एससी स्टेटस क्यों दिया जाये? मगर इस तर्क के बरस्क सिख (1956) और बौद्ध (1990) दलितों को एससी दर्जा दे दिया गया जब की यह दोनों धर्म भी जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं देते हैं. तब प्रश्न उठता है कि सिर्फ इस्लाम और ईसाई धर्म मानने वाले दलितों को ही एससी दर्जे से क्यों वंचित रखा गया शायद वजह धर्म परिवर्तन रही होगी अगर ऐसा था तो सबसे पहले तो यह मान लिया जाये कि सिख और बौद्ध धर्म से हिन्दू धर्म को कोई खतरा नहीं है। पर खतरा इस्लाम और ईसाई धर्म से भी कौन सा है? हिन्दू धर्म कोई इस्लाम और ईसाई धर्म से कमजोर है क्या हो सकता है मौलाना और पादरी प्रचार और दुनियावी लालच के जरिये कुछ दलित और गरीब हिन्दुओं को भटकाने की कोशिश करते रहते हों. मगर आज हिन्दुओं के पास आरएसएस जैसा सशक्त संगठन है, उसकी समर्थित पार्टी भाजपा के पास सत्ता है, समरसता का दर्शन है। उन्होंने आगे कहा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा थारू “चाहे कोई हरिजन नाम मात्र का एक ईसाई, मुस्लिम, या हिन्दू और अब एक सिख हो जाये वह तब भी एक हरिजन ही रहेगा चाहे वह अपनी वेशभूषा बदलकर स्वयं को कैथोलिक, मुस्लिम या नौ-मुस्लिम या नौ-सिख कहला ले किन्तु छुआछूत पीढ़ियों तक उसका पीछा नहीं छोड़ेगी। यानि दलित होना पेशे और सामाजिक स्तिथि से तय होता है धर्म से नहीं। वसीम राईन ने कहा इस ही लिए दलित मुसलमान धर्म के आधार पर आरक्षण का सख्त विरोध करते हैं. लेकिन धर्म के नाम पर उनके साथ भेदभाव हो यह भी कहाँ तक जायज है भाजपा ने हिन्दू धर्म को आज एक नयी ऊंचाई दी हैं। हर तरफ उत्साह और आत्मविश्वास का संचार हो रहा है. समरसता और न्याय स्थापित करने की बात हो रही है. बोल्ड फैसले लिए जा रहे हैं। पसमादा महज के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया की नोटबंदी, जीएसटी, एनआरसी, कश्मीर-370, ट्रिपल तलाक, इत्यादि. मरकजी हुकूमत से हमारे संगठन की तरफ से मांग हैं कि अब थोड़ी हिम्मत और दिखाएं और एससी आरक्षण से धार्मिक पाबन्दी हटा कर दलित मुस्लमान और ईसाई समूहों को एससी दर्जा देने की पहल करें. बहुत सिंपल है. कोई नया कानून नहीं लाना है। सिर्फ राष्ट्रपति अध्यादेश 1950 को खारिज कर देना है। कैबिनेट से ही हो जायेगा। तब ही सही मायनों में होगा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ होगा। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष नसरुद्दीन अंसारी,खुरशेद अंसारी,कलीम अंसारी,ख्वाजा अंसारी, मैनुद्दीन अंसारी, ईस्माइल राईन, अशफाक राईन, इमरान राईन, अतीक राईन, सिराज राईन, मुख्तार मंसूरी, सिराज जोगी, जुबेर सलमानी अदि लोग मौजूद थे।
सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

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