अन्तर्राष्ट्रीय गायत्री परिवार नवयुग का मत्स्यावतार है: राजकुमार भृगु यज्ञशाला मण्डप में तीन वैवाहिक जोड़े दाम्पत्य परिणय सूत्र में बंधे
संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट
बाराबंकी। अखिल विश्व गायत्री परिवार नवयुग के मत्स्यावतार की तरह दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। देश व विदेशों में पाँच हजार से अधिक गायत्री शक्तिपीठें, प्रज्ञापीठें गायत्रीचेतना केन्द्रों के रूप में शाखाएँ राष्ट्र समृद्धि का कार्य कर रही हैं। 15 करोड़ से अधिक निष्ठावान परिजन लोकसेवी कार्यकर्ता के रूप में संपूर्ण राष्ट्र में अलख जगाने का कार्य रहे हैं। पूज्य गुरूदेव 32 सौ पुस्तकें, 108 उपनिषद् एवं चारों वेदों का भाष्य तथा गायत्री महाविज्ञान लिखकर जनमानस को समर्पित कर दिया है। हिमालय के सप्तसरोवर में स्थापित ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान, देव संस्कृति विश्व विद्यालय में हजारों शोधार्थी ज्ञानार्जन कर रहे हैं। उपरोक्त उद्गार स्थानीय राजकीय इण्टर कालेज के प्रांगण में चल रहे जन जागरण, व्यसन मुक्ति आन्दोलन एवं 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ समारोह के तीसरे दिन शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे केन्द्रीय टोली नायक राज कुमार भृगु ने पंडाल में मोजूद जन सैलाब के समक्ष व्यक्त किए। इस अवसर पर युग गायक सन्दीप पाण्डेय, हुकुम चन्द (वादक), बनवारी लाल सैनी (सहायक) द्वारा गुवन्दना प्रस्तुत हुयी। तत्पश्चात् टोली नायक ने अपने ओजस्वी वाणी में कहा कि पूज्य गुरूदेव ने चैबीस लाख के 24 महापुरश्चरण करके गायत्री और यज्ञ को जन-जन के लिए सुलभ कर दिया है। गायत्री तीर्थ शान्तिकुंज एवं गायत्री तपोभूमि मथुरा एक मुख्य धुरी के रूप में मिशन के सप्त सूत्रीय आन्दोलन साधना, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलम्बन, व्यसन मुक्ति, कुरीति उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण, हरीतिमा संवर्धन के कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। अपरान्ह काल यज्ञशाला मण्डप में तीन जोड़ों के दहेज रहित आदर्श विवाह संपन्न हुए। जिसमें जितेन्द्र कुमार वर्मा (मन्टू) पुत्र राजेन्द्र प्रसाद निवासी बरैयां सूरतगंज का आयुष्मती सोनम वर्मा पुत्री वीरेन्द्र कुमार सूरतगंज एवं नेहा साहू पुत्री शिवप्रसाद निवासी जाटा बरौली बंकी का आयुषमान विशाल साहू पुत्र रामलखन कानपुर के साथ तथा भूपेन्द्र कुमार पुत्र राम कुमार निवासी मुबारकपुर का आयुष्मती अंकिता वर्मा पुत्री शोभाराम निवासी लोहरवा के साथ दाम्पत्य जीवन में देवशक्तियों की साक्षी में परिणय सूत्र में बंधें। यज्ञशाला में कई पालियों में हवन हुआ। साथ ही यज्ञोंपवीत, दीक्षा, विद्यारम्भ, अन्नप्रासन, संस्कार भी संपन्न हुये। सायंकाल मुख्य पण्डाल में 5100 दीपकों को प्रज्जवलित करके भव्य दीप महायज्ञ संपन्न हुआ। इस अवसर पर केन्द्रीय टोली द्वारा प्रज्ञागीत ’चलो करें स्वागत आरती सजा लो, दीप जला ला’े, ’नया युग चला आ रहा है’, ’शंख बजे दीप जले, साज बजे गीत चले’, ’दीप यज्ञ घर-घर मनाओं रे, भइया मेरे द्वार-द्वार दीपक जलाओं रे’, ’मानवता का पतन देखकर आज धरा अकुलाई है, देवशक्तियों ने मिल-झुलकर दुर्गा शक्ति जगायी है’ प्रस्तुत करके उपस्थित श्रोताओं को तालियाँ बजाकर झूमने के लिए मजबूर कर दिया। धरती पर फिर से राम राज्य लाकर सतयुगी वातावरण के भाव पैदा कर दिया।
संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट