श्रीराम जी भाजपाई नहीं! आराध्य हैं, अखिलेश जी हिम्मत तो करिए? अगर राम जी से बैर रखना,जय श्री राम बोलने वाले को सामने पिटवाना ही समाजवाद है तो यह दुर्भाग्य है? प्रियंका की सक्रियता से मुस्लिम तबके के खिसकने की चिन्ता से चिंतित तो नही हैं पूर्व मुख्यमंत्री?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

अखिलेश यादव जी जय श्री राम से आपको परेशानी क्यों है? अरे श्री राम जी तो करोड़ों लोगों के आराध्य हैं। वह भाजपाई नहीं है?अब यदि राम जी से बैर रखना और जय श्री राम कहने वाले को सामने पिटवाना अगर यह समाजवाद है तो यह दुर्भाग्य ही है।संभावित है कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की बढ़ती सक्रियता से मुस्लिम तबके के खिसकने की चिंता में यह सब हो गया हो ? श्री यादव जी आप थोड़ी हिम्मत करिए। श्री राम जी की शरण में आइए और सभी धर्मों को मानने की वास्तविक भावना को आत्मसात करिए। समझिए! कि श्री राम जी के नाम का भाजपा ने अपने नाम पट्टा नहीं करवा रखा है ? मर्यादा पुरुषोत्तम रघुनंदन जी सबके हैं जी हां सबके हैं…..?

भाजपा के विरोधी दलों की छद्म धर्मनिरपेक्षता की पोल उस समय खुल जाती है जब ऐसे दलों के कई नेता खुलकर बहुसंख्यक समाज के आस्था का मजाक बना डालते हैं! उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक जनसभा के दौरान ऐसा ही कुछ कर डाला। एक युवा गोविंद शुक्ला उनकी सभा में गया। उसने जय श्रीराम के नारे लगाए जिसे सुनकर अखिलेश यादव का पारा बढ़ गया। वह गुस्से में तमतमा उठे ।अपने नेता को गुस्से में देख सपाई युवा को पीटने लगे? श्री यादव मंच व माइक से ज्ञान देते रहे। दरोगा को व पुलिस वालों को हड़काते रहे।एक सपा विधायक ने उक्त युवक के विरुद्ध तहरीर भी दी जो बाद में स्वयं अखिलेश यादव के इशारे पर वापस ले ली गई ।इस पूरी घटना ने यह साफ कर दिया कि सपा को बहुसंख्यको का वोट चाहिए लेकिन अपनी वोट परस्त नीत को आगे रखकर?

आखिर जय श्री राम से अखिलेश यादव को एलर्जी क्यों हो जाती है? उन्हें रामजी से परहेज क्यों है? वह रामजी से बैर क्यों रखते हैं? यह यह सब वे राजनैतिक मजबूरी के चलते दिखावे में करते हैं या फिर अपनी अंतरात्मा से करते हैं? अयोध्या धाम में सरयू के किनारे पूरी तरह से पैदा होकर आगे बढ़ी समाजवादी पार्टी को मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी का नाम भाजपाई क्यों नजर आता है? सपा सुप्रीमो यह क्यों नहीं समझते रामजी करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है ।माना कि गोविंद नामक युवक ने उनके सामने पहुंचकर जय श्री राम बोल कर उनकी सभा में विघ्न उत्पन्न करने का प्रयास किया! तो क्या अखिलेश अपना दिल बड़ा करते हुए उसका जवाब उसी की शब्दावली में नहीं दे सकते थे? क्या जय श्री राम बोलने भर अखिलेश की जुबान तालू में चिपक जाती? जाहिर है कि जय श्रीराम के जवाब में जय सियाराम, जय सीताराम, राम-राम कुछ भी कहा जा सकता था ! एक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने उसके कार्यकर्ता एक निरीह युवा को केवल इसलिए पीटते रहे कि उसने जय श्री राम का उद्घोष किया? अगर यही समाजवाद है तो यह दुर्भाग्य है?
समाजवाद के प्रणेता डॉ राम मनोहर लोहिया जी तो रामायण मेला का आयोजन करते थे फिर आज के समाजवाद में राम जी से इतनी घृणा क्यों है?

साफ दिखता है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जय श्री राम को भाजपा के नाम का पट्टा समझ रखा है! वह राम जी को पक्का भाजपाई समझते हैं! जबकि रामजी तो आस्था के केंद्र हैं,सबके हैं। अखिलेश जी हिम्मत करिए ! वोट पदस्थ राजनीति से अलग हटकर राम जी की शरण में आइए! इस बात को समझिए कि राम जी के नाम का उच्चारण करने से आपका नुकसान नहीं होगा ।

संभावना यह भी है कि कहीं न कहीं अखिलेश यादव इस समय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की तेजी से बढ़ती सक्रियता से खासे चौकन्ने हैं? अभी हाल ही में अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में प्रियंका ने पहुंचकर मुस्लिम वर्ग के लोगों के बीच में जाकर जमकर वाहवाही पाई है। वहां प्रियंका से मिलने को उमड़ी हजारों अल्पसंख्यकों की भीड़ इस बात को दर्शा रही थी कि प्रियंका गांधी का खुलकर आंदोलनरत अल्पसंख्यकों के बीच में पहुंचना कहीं न कहीं मुस्लिमों को काफी लुभा रहा है! कहीं ऐसा तो नहीं है कि जय श्री राम बोलने वाले व्यक्ति को पिटवा कर अखिलेश ने मुस्लिमों को यह अप्रत्यक्ष रूप से संदेश देने का प्रयास किया हो कि वही उनके सच्चे हितैषी हैं? यह अलग बात है कि मुस्लिमों में भी तमाम लोगों ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की इस व्यवहार शैली को गलत माना है।

अखिलेश यादव जी आप थोड़ी हिम्मत करिए ।आप जैसे लोग जब बहुसंख्यक अथवा हिंदुत्व की भावना को अपमानित करके आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं या फिर मुस्लिम वोटों को खुश करने का प्रयास करते हैं इसी स्थिति का लाभ उठाकर भाजपा मजबूती से हिंदुत्व की पैरोकार बनी नजर आती है? यही स्थिति ऐसी परिस्थितियों को जन्म देती है कि लोकसभा के चुनाव में विधानसभा के चुनाव में आपका सजातीय यादव भी हिंदुत्व का मंत्र पढ़कर हिंदू बना नजर आता है? साफ है कि यदि भाजपा हिंदुत्व की राजनीति करती है तो जय श्री राम से बैर रखना यह भी दर्शाता है कि समाजवादी पार्टी भी मुस्लिमों की राजनीति करती है? चाहे पक्ष के नेता हों चाहे विपक्ष के नेता! स्पष्ट बात यह है कि आज देश को धर्म एवं जाति से परे हटकर एक ऐसी नई दिशा की जरूरत है जहां पर सभी आम हिंदुस्तानी बने नजर आए! जी हां एक ऐसे देश की परिकल्पना साकार हो जहां पर समाजवादी को नमाज वादी ना कहा जा सके और भारतीय जनता पार्टी को संप्रदायिक ना कहा जा सके? हर दल का नाम जनता भी सम्मानित ढंग से ले। लेकिन यह तब हो पाएगा जब देश के नेता सभी धर्म, सभी जातियों का बराबर से सम्मान करते नजर आएंगे? इसलिए अखिलेश यादव जी हिम्मत तो करिए एक बार? क्योंकि भारतीय संस्कृति में तो देखा गया है कि पैदा होने से राम जी का नाम साथ होकर श्मशान घाट जाने तक राम नाम सत्य है का बखान करता हुआ नजर आता है!

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

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