चुनाव लड़ने के लिए आजमाया अनोखा पैंतरा, सामान्य वर्ग के सेराज ने की OBC महिला से शादी

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ 9889789714

चुनाव लड़ने के लिए कुछ भी करेंगे. जी हां! आपने बिलकुल सही पढ़ा. आगामी ग्राम पंचायत चुनाव को लेकर दावेदार अनोखे पैतरे आजमाने से भी संकोच नहीं करेंगे. उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से चुनावी शादी का मामला सामने आने के बाद यह बात सच होती लगती है. यहां एक सामान्य वर्ग के दावेदार ने आरक्षण लिस्ट में सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद अनोखी शादी की है. यहां पिछले 5 वर्ष से ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे एक शख्स ने अपने बेटे की शादी पिछड़ा वर्ग की महिला से करवा दी, ताकि बहू चुनाव लड़ सके. चुनाव लड़ने के लिए हुई इस अनोखी शादी की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है.

मामला जिले के तरकुलवा विकास खंड के नारायणपुर गांव का है, जहां प्रधान पद वर्ष 2015 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. पिछली सूची में यह गांव सामान्य जाति के लिए आरक्षित हो गया, लेकिन जब एक बार फिर नई आरक्षण सूची आई तो गांव का आरक्षण ही बदल गया और नारायणपुर गांव पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित हो गया. वहीं, गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे सरफराज को नए आरक्षण से झटका लगा, क्योंकि सरफराज सामान्य वर्ग से आते है. लेकिन, चुनाव लड़ने की ठान कर बैठे सरफराज ने एक नया फॉर्मूला निकाल लिया. गांव का प्रधान बनने के लिए अपने बेटे सेराज का निकाह पिछड़ी जाति की युवती से करा दिया. अब वह अपनी नई नवेली बहू को प्रधानी का चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटे हैं.

सरफराज ने बताया कि वे पिछले पांच साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. गांव वाले भी चाहते हैं कि वे प्रधान बने, लेकिन सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई. इसलिए उन्होंने अपने बेटे सेराज की शादी मुस्लिम विरादरी की ही पिछड़ा वर्ग की लड़की से करा दी है, ताकि प्रधानी उनके घर में ही रहे. दरअसल, कानून की बात करें तो शादी के बाद भी लड़की की जाति नहीं बदलती है. जैसे अगर किसी पिछड़ी जाति की लड़की ने किसी सामान्य वर्ग के लड़के से शादी कर ली है तो लड़की पिछड़ी जाति की ही रहेगी. इसी तरह अगर कोई सामान्य जाति की लड़की पिछड़े वर्ग के लड़के से शादी कर ले तो लड़की सामान्य वर्ग की ही मानी जाएगी. उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.

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