श्री राम दुष्टों का अंत करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए कथा में बोले अनिल पाण्डेय
एसएम न्यूज़24टाइम्स के जिला ब्यूरो के साथ मसौली संवाददाता अवधेश वर्मा शांती वर्मा की रिपोर्ट मोबाइल नंबर 8707331705
रामसनेहीघाट, बाराबंकी। ग्राम शुक्लापुरवा मजरे हथौंधा के छठवें दिवस की कथा जौनपुर से पधारे श्रद्धेय अनिल पांण्डेय मानस वत्सल ने धनुष यज्ञ की कथा प्रस्तुत कि उन्होने कहा कि भगवान शिव के धनुष की रस्सी चढ़ाने के लिए राम के धनुष छूते ही धनुष टूट गया, इससे पूर्व सीता की सखियों ने उनसे कहा कि आप ने मन में क्या सोचा है जिस धनुष को दश हजार बलशाली राजा मिलकर हिला तक नहीं सके उसकी प्रत्यंचा सुकोमल राम कैसे चढा पाएंगे सीता ने कहा कि धनुष सती का मन है और दश हजार उनका वचन है जैसे सती साध्वी का मनका कामी के हजारों याचना से डिगने वाला नहीं, जानकी ने कहा कि उनके मन ने सांवले सुकोमल का मन से वरण कर लिया। आगे कि कथा आचार्य मोहित शुक्ल ने कही उन्होने कहा कि भगवान श्री राम दुष्टों का अंत करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए उन्होंने वनवास के बहाने दुष्टों एवं आताताई जिससे पृथ्वी वासी परेशान थे उनका अंत किया तथा धरती पर शांति एवं सौहार्द का राज स्थापित किया उन्होंने श्री राम के वन गमन की चर्चा करते हुए कहा कि श्री राम ने अपनी इच्छा से वन जाने की पृष्ठभूमि तय की थी एक दिन कैकेई अपने महल में बैठी थी पीछे से आकर राम ने उनकी आंखें बंद कर दी चारों भाई कोमलांग है। इस अवसर पर यज्ञ के आचार्य दिनेश मिश्र, यज्ञ के यज्ञमान आनन्द शुक्ला, मंच संचालक दिनेश शुक्ला, आचार्य मोहित शास्त्री, उत्तम कृष्ण शास्त्री, सुधाकर, गंगाबक्स सिंह, मधुकर तवारी, कमलेश वर्मा, गंगाबक्स सिंह, सुशील मिश्र,भैरव तिवारी आदि लोग उपस्थित रहे।
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